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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3490 | 31 | 21 | وإذا قيل لهم اتبعوا ما أنزل الله قالوا بل نتبع ما وجدنا عليه آباءنا أولو كان الشيطان يدعوهم إلى عذاب السعير |
| | | अब जब उनसे कहा जाता है कि "उस चीज़ का अनुसरण करो जो अल्लाह न उतारी है," तो कहते है, "नहीं, बल्कि हम तो उस चीज़ का अनुसरण करेंगे जिसपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।" क्या यद्यपि शैतान उनको भड़कती आग की यातना की ओर बुला रहा हो तो भी? |
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3491 | 31 | 22 | ومن يسلم وجهه إلى الله وهو محسن فقد استمسك بالعروة الوثقى وإلى الله عاقبة الأمور |
| | | जो कोई आज्ञाकारिता के साथ अपना रुख़ अल्लाह की ओर करे, और वह उत्तमकर भी हो तो उसने मज़बूत सहारा थाम लिया। सारे मामलों की परिणति अल्लाह ही की ओर है |
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3492 | 31 | 23 | ومن كفر فلا يحزنك كفره إلينا مرجعهم فننبئهم بما عملوا إن الله عليم بذات الصدور |
| | | और जिस किसी ने इनकार किया तो उसका इनकार तुम्हें शोकाकुल न करे। हमारी ही ओर तो उन्हें पलटकर आना है। फिर जो कुछ वे करते रहे होंगे, उससे हम उन्हें अवगत करा देंगे। निस्संदेह अल्लाह सीनों की बात तक जानता है |
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3493 | 31 | 24 | نمتعهم قليلا ثم نضطرهم إلى عذاب غليظ |
| | | हम उन्हें थोड़ा मज़ा उड़ाने देंगे। फिर उन्हें विवश करके एक कठोर यातना की ओर खींच ले जाएँगे |
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3494 | 31 | 25 | ولئن سألتهم من خلق السماوات والأرض ليقولن الله قل الحمد لله بل أكثرهم لا يعلمون |
| | | यदि तुम उनसे पूछो कि "आकाशों और धरती को किसने पैदा किया?" तो वे अवश्य कहेंगे कि "अल्लाह ने।" कहो, "प्रशंसा भी अल्लाह के लिए है।" वरन उनमें से अधिकांश जानते नहीं |
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3495 | 31 | 26 | لله ما في السماوات والأرض إن الله هو الغني الحميد |
| | | आकाशों और धरती में जो कुछ है अल्लाह ही का है। निस्संदेह अल्लाह ही निस्पृह, स्वतः प्रशंसित है |
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3496 | 31 | 27 | ولو أنما في الأرض من شجرة أقلام والبحر يمده من بعده سبعة أبحر ما نفدت كلمات الله إن الله عزيز حكيم |
| | | धरती में जितने वृक्ष है, यदि वे क़लम हो जाएँ और समुद्र उसकी स्याही हो जाए, उसके बाद सात और समुद्र हों, तब भी अल्लाह के बोल समाप्त न हो सकेंगे। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
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3497 | 31 | 28 | ما خلقكم ولا بعثكم إلا كنفس واحدة إن الله سميع بصير |
| | | तुम सबका पैदा करना और तुम सबका जीवित करके पुनः उठाना तो बस ऐसा है, जैसे एक जीव का। अल्लाह तो सब कुछ सुनता, देखता है |
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3498 | 31 | 29 | ألم تر أن الله يولج الليل في النهار ويولج النهار في الليل وسخر الشمس والقمر كل يجري إلى أجل مسمى وأن الله بما تعملون خبير |
| | | क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह रात को दिन में प्रविष्ट करता है और दिन को रात में प्रविष्ट करता है। उसने सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगा रखा है? प्रत्येक एक नियत समय तक चला जा रहा है और इसके साथ यह कि जो कुछ भी तुम करते हो, अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है |
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3499 | 31 | 30 | ذلك بأن الله هو الحق وأن ما يدعون من دونه الباطل وأن الله هو العلي الكبير |
| | | यह सब कुछ इस कारण से है कि अल्लाह ही सत्य है और यह कि उसे छोड़कर जिनको वे पुकारते है, वे असत्य है। और यह कि अल्लाह ही सर्वोच्च, महान है |
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