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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3487 | 31 | 18 | ولا تصعر خدك للناس ولا تمش في الأرض مرحا إن الله لا يحب كل مختال فخور |
| | | और लोगों के सामने (गुरुर से) अपना मुँह न फुलाना और ज़मीन पर अकड़कर न चलना क्योंकि ख़ुदा किसी अकड़ने वाले और इतराने वाले को दोस्त नहीं रखता और अपनी चाल ढाल में मियाना रवी एख्तेयार करो |
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3488 | 31 | 19 | واقصد في مشيك واغضض من صوتك إن أنكر الأصوات لصوت الحمير |
| | | और दूसरो से बोलने में अपनी आवाज़ धीमी रखो क्योंकि आवाज़ों में तो सब से बुरी आवाज़ (चीख़ने की वजह से) गधों की है |
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3489 | 31 | 20 | ألم تروا أن الله سخر لكم ما في السماوات وما في الأرض وأسبغ عليكم نعمه ظاهرة وباطنة ومن الناس من يجادل في الله بغير علم ولا هدى ولا كتاب منير |
| | | क्या तुम लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही ने यक़ीनी तुम्हारा ताबेए कर दिया है और तुम पर अपनी ज़ाहिरी और बातिनी नेअमतें पूरी कर दीं और बाज़ लोग (नुसर बिन हारिस वगैरह) ऐसे भी हैं जो (ख्वाह मा ख्वाह) ख़ुदा के बारे में झगड़ते हैं (हालॉकि उनके पास) न इल्म है और न हिदायत है और न कोई रौशन किताब है |
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3490 | 31 | 21 | وإذا قيل لهم اتبعوا ما أنزل الله قالوا بل نتبع ما وجدنا عليه آباءنا أولو كان الشيطان يدعوهم إلى عذاب السعير |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि जो (किताब) ख़ुदा ने नाज़िल की है उसकी पैरवी करो तो (छूटते ही) कहते हैं कि नहीं हम तो उसी (तरीक़े से चलेंगे) जिस पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया भला अगरचे शैतान उनके बाप दादाओं को जहन्नुम के अज़ाब की तरफ बुलाता रहा हो (तो भी उन्ही की पैरवी करेंगे) |
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3491 | 31 | 22 | ومن يسلم وجهه إلى الله وهو محسن فقد استمسك بالعروة الوثقى وإلى الله عاقبة الأمور |
| | | और जो शख्स ख़ुदा के आगे अपना सर (तस्लीम) ख़म करे और वह नेकोकार (भी) हो तो बेशक उसने (ईमान की) मज़बूत रस्सी पकड़ ली और (आख़िर तो) सब कामों का अन्जाम ख़ुदा ही की तरफ है |
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3492 | 31 | 23 | ومن كفر فلا يحزنك كفره إلينا مرجعهم فننبئهم بما عملوا إن الله عليم بذات الصدور |
| | | और (ऐ रसूल) जो काफिर बन बैठे तो तुम उसके कुफ्र से कुढ़ों नही उन सबको तो हमारी तरफ लौट कर आना है तो जो कुछ उन लोगों ने किया है (उसका नतीजा) हम बता देगें बेशक ख़ुदा दिलों के राज़ से (भी) खूब वाक़िफ है |
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3493 | 31 | 24 | نمتعهم قليلا ثم نضطرهم إلى عذاب غليظ |
| | | हम उन्हें चन्द रोज़ों तक चैन करने देगें फिर उन्हें मजबूर करके सख्त अज़ाब की तरफ खीच लाएँगें |
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3494 | 31 | 25 | ولئن سألتهم من خلق السماوات والأرض ليقولن الله قل الحمد لله بل أكثرهم لا يعلمون |
| | | और (ऐ रसूल) तुम अगर उनसे पूछो कि सारे आसमान और ज़मीन को किसने पैदा किया तो ज़रुर कह देगे कि अल्लाह ने (ऐ रसूल) इस पर तुम कह दो अल्हमदोलिल्लाह मगर उनमें से अक्सर (इतना भी) नहीं जानते हैं |
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3495 | 31 | 26 | لله ما في السماوات والأرض إن الله هو الغني الحميد |
| | | जो कुछ सारे आसमान और ज़मीन में है (सब) ख़ुदा ही का है बेशक ख़ुदा तो (हर चीज़ से) बेपरवा (और बहरहाल) क़ाबिले हम्दो सना है |
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3496 | 31 | 27 | ولو أنما في الأرض من شجرة أقلام والبحر يمده من بعده سبعة أبحر ما نفدت كلمات الله إن الله عزيز حكيم |
| | | और जितने दरख्त ज़मीन में हैं सब के सब क़लम बन जाएँ और समन्दर उसकी सियाही बनें और उसके (ख़त्म होने के) बाद और सात समन्दर (सियाही हो जाएँ और ख़ुदा का इल्म और उसकी बातें लिखी जाएँ) तो भी ख़ुदा की बातें ख़त्म न होगीं बेशक ख़ुदा सब पर ग़ालिब (और) दाना (बीना) है |
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