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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3484 | 31 | 15 | وإن جاهداك على أن تشرك بي ما ليس لك به علم فلا تطعهما وصاحبهما في الدنيا معروفا واتبع سبيل من أناب إلي ثم إلي مرجعكم فأنبئكم بما كنتم تعملون |
| | | और अगर तेरे माँ बाप तुझे इस बात पर मजबूर करें कि तू मेरा शरीक ऐसी चीज़ को क़रार दे जिसका तुझे इल्म भी नहीं तो तू (इसमें) उनकी इताअत न करो (मगर तकलीफ़ न पहुँचाना) और दुनिया (के कामों) में उनका अच्छी तरह साथ दे और उन लोगों के तरीक़े पर चल जो (हर बात में) मेरी (ही) तरफ रुजू करे फिर (तो आख़िर) तुम सबकी रुजू मेरी ही तरफ है तब (दुनिया में) जो कुछ तुम करते थे |
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3485 | 31 | 16 | يا بني إنها إن تك مثقال حبة من خردل فتكن في صخرة أو في السماوات أو في الأرض يأت بها الله إن الله لطيف خبير |
| | | (उस वक्त उसका अन्जाम) बता दूँगा ऐ बेटा इसमें शक नहीं कि वह अमल (अच्छा हो या बुरा) अगर राई के बराबर भी हो और फिर वह किसी सख्त पत्थर के अन्दर या आसमान में या ज़मीन मे (छुपा हुआ) हो तो भी ख़ुदा उसे (क़यामत के दिन) हाज़िर कर देगा बेशक ख़ुदा बड़ा बारीकबीन वाक़िफकार है |
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3486 | 31 | 17 | يا بني أقم الصلاة وأمر بالمعروف وانه عن المنكر واصبر على ما أصابك إن ذلك من عزم الأمور |
| | | ऐ बेटा नमाज़ पाबन्दी से पढ़ा कर और (लोगों से) अच्छा काम करने को कहो और बुरे काम से रोको और जो मुसीबत तुम पर पडे उस पर सब्र करो (क्योंकि) बेशक ये बड़ी हिम्मत का काम है |
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3487 | 31 | 18 | ولا تصعر خدك للناس ولا تمش في الأرض مرحا إن الله لا يحب كل مختال فخور |
| | | और लोगों के सामने (गुरुर से) अपना मुँह न फुलाना और ज़मीन पर अकड़कर न चलना क्योंकि ख़ुदा किसी अकड़ने वाले और इतराने वाले को दोस्त नहीं रखता और अपनी चाल ढाल में मियाना रवी एख्तेयार करो |
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3488 | 31 | 19 | واقصد في مشيك واغضض من صوتك إن أنكر الأصوات لصوت الحمير |
| | | और दूसरो से बोलने में अपनी आवाज़ धीमी रखो क्योंकि आवाज़ों में तो सब से बुरी आवाज़ (चीख़ने की वजह से) गधों की है |
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3489 | 31 | 20 | ألم تروا أن الله سخر لكم ما في السماوات وما في الأرض وأسبغ عليكم نعمه ظاهرة وباطنة ومن الناس من يجادل في الله بغير علم ولا هدى ولا كتاب منير |
| | | क्या तुम लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि जो कुछ आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही ने यक़ीनी तुम्हारा ताबेए कर दिया है और तुम पर अपनी ज़ाहिरी और बातिनी नेअमतें पूरी कर दीं और बाज़ लोग (नुसर बिन हारिस वगैरह) ऐसे भी हैं जो (ख्वाह मा ख्वाह) ख़ुदा के बारे में झगड़ते हैं (हालॉकि उनके पास) न इल्म है और न हिदायत है और न कोई रौशन किताब है |
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3490 | 31 | 21 | وإذا قيل لهم اتبعوا ما أنزل الله قالوا بل نتبع ما وجدنا عليه آباءنا أولو كان الشيطان يدعوهم إلى عذاب السعير |
| | | और जब उनसे कहा जाता है कि जो (किताब) ख़ुदा ने नाज़िल की है उसकी पैरवी करो तो (छूटते ही) कहते हैं कि नहीं हम तो उसी (तरीक़े से चलेंगे) जिस पर हमने अपने बाप दादाओं को पाया भला अगरचे शैतान उनके बाप दादाओं को जहन्नुम के अज़ाब की तरफ बुलाता रहा हो (तो भी उन्ही की पैरवी करेंगे) |
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3491 | 31 | 22 | ومن يسلم وجهه إلى الله وهو محسن فقد استمسك بالعروة الوثقى وإلى الله عاقبة الأمور |
| | | और जो शख्स ख़ुदा के आगे अपना सर (तस्लीम) ख़म करे और वह नेकोकार (भी) हो तो बेशक उसने (ईमान की) मज़बूत रस्सी पकड़ ली और (आख़िर तो) सब कामों का अन्जाम ख़ुदा ही की तरफ है |
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3492 | 31 | 23 | ومن كفر فلا يحزنك كفره إلينا مرجعهم فننبئهم بما عملوا إن الله عليم بذات الصدور |
| | | और (ऐ रसूल) जो काफिर बन बैठे तो तुम उसके कुफ्र से कुढ़ों नही उन सबको तो हमारी तरफ लौट कर आना है तो जो कुछ उन लोगों ने किया है (उसका नतीजा) हम बता देगें बेशक ख़ुदा दिलों के राज़ से (भी) खूब वाक़िफ है |
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3493 | 31 | 24 | نمتعهم قليلا ثم نضطرهم إلى عذاب غليظ |
| | | हम उन्हें चन्द रोज़ों तक चैन करने देगें फिर उन्हें मजबूर करके सख्त अज़ाब की तरफ खीच लाएँगें |
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