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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3482 | 31 | 13 | وإذ قال لقمان لابنه وهو يعظه يا بني لا تشرك بالله إن الشرك لظلم عظيم |
| | | याद करो जब लुकमान ने अपने बेटे से, उसे नसीहत करते हुए कहा, "ऐ मेरे बेटे! अल्लाह का साझी न ठहराना। निश्चय ही शिर्क (बहुदेववाद) बहुत बड़ा ज़ुल्म है।" |
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3483 | 31 | 14 | ووصينا الإنسان بوالديه حملته أمه وهنا على وهن وفصاله في عامين أن اشكر لي ولوالديك إلي المصير |
| | | और हमने मनुष्य को उसके अपने माँ-बाप के मामले में ताकीद की है - उसकी माँ ने निढाल होकर उसे पेट में रखा और दो वर्ष उसके दूध छूटने में लगे - कि "मेरे प्रति कृतज्ञ हो और अपने माँ-बाप के प्रति भी। अंततः मेरी ही ओर आना है |
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3484 | 31 | 15 | وإن جاهداك على أن تشرك بي ما ليس لك به علم فلا تطعهما وصاحبهما في الدنيا معروفا واتبع سبيل من أناب إلي ثم إلي مرجعكم فأنبئكم بما كنتم تعملون |
| | | किन्तु यदि वे तुझपर दबाव डाले कि तू किसी को मेरे साथ साझी ठहराए, जिसका तुझे ज्ञान नहीं, तो उसकी बात न मानना और दुनिया में उसके साथ भले तरीके से रहना। किन्तु अनुसरण उस व्यक्ति के मार्ग का करना जो मेरी ओर रुजू हो। फिर तुम सबको मेरी ही ओर पलटना है; फिर मैं तुम्हें बता दूँगा जो कुछ तुम करते रहे होगे।"- |
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3485 | 31 | 16 | يا بني إنها إن تك مثقال حبة من خردل فتكن في صخرة أو في السماوات أو في الأرض يأت بها الله إن الله لطيف خبير |
| | | "ऐ मेरे बेटे! इसमें सन्देह नहीं कि यदि वह राई के दाने के बराबर भी हो, फिर वह किसी चट्टान के बीच हो या आकाशों में हो या धरती में हो, अल्लाह उसे ला उपस्थित करेगा। निस्संदेह अल्लाह अत्यन्त सूक्ष्मदर्शी, ख़बर रखनेवाला है। |
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3486 | 31 | 17 | يا بني أقم الصلاة وأمر بالمعروف وانه عن المنكر واصبر على ما أصابك إن ذلك من عزم الأمور |
| | | "ऐ मेरे बेटे! नमाज़ का आयोजन कर और भलाई का हुक्म दे और बुराई से रोक और जो मुसीबत भी तुझपर पड़े उसपर धैर्य से काम ले। निस्संदेह ये उन कामों में से है जो अनिवार्य और ढृढसंकल्प के काम है |
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3487 | 31 | 18 | ولا تصعر خدك للناس ولا تمش في الأرض مرحا إن الله لا يحب كل مختال فخور |
| | | "और लोगों से अपना रूख़ न फेर और न धरती में इतराकर चल। निश्चय ही अल्लाह किसी अहंकारी, डींग मारनेवाले को पसन्द नहीं करता |
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3488 | 31 | 19 | واقصد في مشيك واغضض من صوتك إن أنكر الأصوات لصوت الحمير |
| | | "और अपनी चाल में सहजता और संतुलन बनाए रख और अपनी आवाज़ धीमी रख। निस्संदेह आवाज़ों में सबसे बुरी आवाज़ गधों की आवाज़ होती है।" |
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3489 | 31 | 20 | ألم تروا أن الله سخر لكم ما في السماوات وما في الأرض وأسبغ عليكم نعمه ظاهرة وباطنة ومن الناس من يجادل في الله بغير علم ولا هدى ولا كتاب منير |
| | | क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने, जो कुछ आकाशों में और जो कुछ धरती में है, सबको तुम्हारे काम में लगा रखा है और उसने तुमपर अपनी प्रकट और अप्रकट अनुकम्पाएँ पूर्ण कर दी है? इसपर भी कुछ लोग ऐसे है जो अल्लाह के विषय में बिना किसी ज्ञान, बिना किसी मार्गदर्शन और बिना किसी प्रकाशमान किताब के झगड़ते है |
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3490 | 31 | 21 | وإذا قيل لهم اتبعوا ما أنزل الله قالوا بل نتبع ما وجدنا عليه آباءنا أولو كان الشيطان يدعوهم إلى عذاب السعير |
| | | अब जब उनसे कहा जाता है कि "उस चीज़ का अनुसरण करो जो अल्लाह न उतारी है," तो कहते है, "नहीं, बल्कि हम तो उस चीज़ का अनुसरण करेंगे जिसपर हमने अपने बाप-दादा को पाया है।" क्या यद्यपि शैतान उनको भड़कती आग की यातना की ओर बुला रहा हो तो भी? |
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3491 | 31 | 22 | ومن يسلم وجهه إلى الله وهو محسن فقد استمسك بالعروة الوثقى وإلى الله عاقبة الأمور |
| | | जो कोई आज्ञाकारिता के साथ अपना रुख़ अल्लाह की ओर करे, और वह उत्तमकर भी हो तो उसने मज़बूत सहारा थाम लिया। सारे मामलों की परिणति अल्लाह ही की ओर है |
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