بسم الله الرحمن الرحيم

نتائج البحث: 6236
ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
34673058ولقد ضربنا للناس في هذا القرآن من كل مثل ولئن جئتهم بآية ليقولن الذين كفروا إن أنتم إلا مبطلون
और हमने तो इस कुरान में (लोगों के समझाने को) हर तरह की मिसल बयान कर दी और अगर तुम उनके पास कोई सा मौजिज़ा ले आओ
34683059كذلك يطبع الله على قلوب الذين لا يعلمون
तो भी यक़ीनन कुफ्फ़ार यही बोल उठेंगे कि तुम लोग निरे दग़ाबाज़ हो जो लोग समझ (और इल्म) नहीं रखते उनके दिलों पर नज़र करके ख़ुदा यू तसदीक़ करता है (कि ये ईमान न लाएँगें)
34693060فاصبر إن وعد الله حق ولا يستخفنك الذين لا يوقنون
तो (ऐ रसूल) तुम सब्र करो बेशक ख़ुदा का वायदा सच्चा है और (कहीं) ऐसा न हो कि जो (तुम्हारी) तसदीक़ नहीं करते तुम्हें (बहका कर) ख़फ़ीफ़ करे दें
3470311بسم الله الرحمن الرحيم الم
अलिफ़ लाम मीम
3471312تلك آيات الكتاب الحكيم
ये सूरा हिकमत से भरी हुई किताब की आयतें है
3472313هدى ورحمة للمحسنين
जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है
3473314الذين يقيمون الصلاة ويؤتون الزكاة وهم بالآخرة هم يوقنون
जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और ज़कात देते हैं और वही लोग आख़िरत का भी यक़ीन रखते हैं
3474315أولئك على هدى من ربهم وأولئك هم المفلحون
यही लोग अपने परवरदिगार की हिदायत पर आमिल हैं और यही लोग (क़यामत में) अपनी दिली मुरादें पाएँगे
3475316ومن الناس من يشتري لهو الحديث ليضل عن سبيل الله بغير علم ويتخذها هزوا أولئك لهم عذاب مهين
और लोगों में बाज़ (नज़र बिन हारिस) ऐसा है जो बेहूदा क़िस्से (कहानियाँ) ख़रीदता है ताकि बग़ैर समझे बूझे (लोगों को) ख़ुदा की (सीधी) राह से भड़का दे और आयातें ख़ुदा से मसख़रापन करे ऐसे ही लोगों के लिए बड़ा रुसवा करने वाला अज़ाब है
3476317وإذا تتلى عليه آياتنا ولى مستكبرا كأن لم يسمعها كأن في أذنيه وقرا فبشره بعذاب أليم
और जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो शेख़ी के मारे मुँह फेरकर (इस तरह) चल देता है गोया उसने इन आयतों को सुना ही नहीं जैसे उसके दोनो कानों में ठेठी है तो (ऐ रसूल) तुम उसको दर्दनाक अज़ाब की (अभी से) खुशख़बरी दे दे


0 ... 336.6 337.6 338.6 339.6 340.6 341.6 342.6 343.6 344.6 345.6 347.6 348.6 349.6 350.6 351.6 352.6 353.6 354.6 355.6 ... 623

إنتاج هذه المادة أخد: 0.02 ثانية


المغرب.كووم © ٢٠٠٩ - ١٤٣٠ © الحـمـد لله الـذي سـخـر لـنا هـذا :: وقف لله تعالى وصدقة جارية

686295381855048995487588560337721910