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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3467 | 30 | 58 | ولقد ضربنا للناس في هذا القرآن من كل مثل ولئن جئتهم بآية ليقولن الذين كفروا إن أنتم إلا مبطلون |
| | | और हमने तो इस कुरान में (लोगों के समझाने को) हर तरह की मिसल बयान कर दी और अगर तुम उनके पास कोई सा मौजिज़ा ले आओ |
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3468 | 30 | 59 | كذلك يطبع الله على قلوب الذين لا يعلمون |
| | | तो भी यक़ीनन कुफ्फ़ार यही बोल उठेंगे कि तुम लोग निरे दग़ाबाज़ हो जो लोग समझ (और इल्म) नहीं रखते उनके दिलों पर नज़र करके ख़ुदा यू तसदीक़ करता है (कि ये ईमान न लाएँगें) |
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3469 | 30 | 60 | فاصبر إن وعد الله حق ولا يستخفنك الذين لا يوقنون |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम सब्र करो बेशक ख़ुदा का वायदा सच्चा है और (कहीं) ऐसा न हो कि जो (तुम्हारी) तसदीक़ नहीं करते तुम्हें (बहका कर) ख़फ़ीफ़ करे दें |
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3470 | 31 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الم |
| | | अलिफ़ लाम मीम |
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3471 | 31 | 2 | تلك آيات الكتاب الحكيم |
| | | ये सूरा हिकमत से भरी हुई किताब की आयतें है |
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3472 | 31 | 3 | هدى ورحمة للمحسنين |
| | | जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है |
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3473 | 31 | 4 | الذين يقيمون الصلاة ويؤتون الزكاة وهم بالآخرة هم يوقنون |
| | | जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और ज़कात देते हैं और वही लोग आख़िरत का भी यक़ीन रखते हैं |
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3474 | 31 | 5 | أولئك على هدى من ربهم وأولئك هم المفلحون |
| | | यही लोग अपने परवरदिगार की हिदायत पर आमिल हैं और यही लोग (क़यामत में) अपनी दिली मुरादें पाएँगे |
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3475 | 31 | 6 | ومن الناس من يشتري لهو الحديث ليضل عن سبيل الله بغير علم ويتخذها هزوا أولئك لهم عذاب مهين |
| | | और लोगों में बाज़ (नज़र बिन हारिस) ऐसा है जो बेहूदा क़िस्से (कहानियाँ) ख़रीदता है ताकि बग़ैर समझे बूझे (लोगों को) ख़ुदा की (सीधी) राह से भड़का दे और आयातें ख़ुदा से मसख़रापन करे ऐसे ही लोगों के लिए बड़ा रुसवा करने वाला अज़ाब है |
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3476 | 31 | 7 | وإذا تتلى عليه آياتنا ولى مستكبرا كأن لم يسمعها كأن في أذنيه وقرا فبشره بعذاب أليم |
| | | और जब उसके सामने हमारी आयतें पढ़ी जाती हैं तो शेख़ी के मारे मुँह फेरकर (इस तरह) चल देता है गोया उसने इन आयतों को सुना ही नहीं जैसे उसके दोनो कानों में ठेठी है तो (ऐ रसूल) तुम उसको दर्दनाक अज़ाब की (अभी से) खुशख़बरी दे दे |
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