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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3465 | 30 | 56 | وقال الذين أوتوا العلم والإيمان لقد لبثتم في كتاب الله إلى يوم البعث فهذا يوم البعث ولكنكم كنتم لا تعلمون |
| | | किन्तु जिन लोगों को ज्ञान और ईमान प्रदान हुआ, वे कहते, "अल्लाह के लेख में तो तुम जीवित होकर उठने के दिन ठहरे रहे हो। तो यही जीवित हो उठाने का दिन है। किन्तु तुम जानते न थे।" |
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3466 | 30 | 57 | فيومئذ لا ينفع الذين ظلموا معذرتهم ولا هم يستعتبون |
| | | अतः उस दिन ज़ुल्म करनेवालों को उनका कोई उज़्र (सफाई पेश करना) काम न आएगा और न उनसे यह चाहा जाएगा कि वे किसी यत्न से (अल्लाह के) प्रकोप को टाल सकें |
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3467 | 30 | 58 | ولقد ضربنا للناس في هذا القرآن من كل مثل ولئن جئتهم بآية ليقولن الذين كفروا إن أنتم إلا مبطلون |
| | | हमने इस क़ुरआन में लोगों के लिए प्रत्येक मिसाल पेश कर दी है। यदि तुम कोई भी निशानी उनके पास ले आओ, जिन लोगों ने इनकार किया है, वे तो यही कहेंगे, "तुम तो बस झूठ घड़ते हो।" |
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3468 | 30 | 59 | كذلك يطبع الله على قلوب الذين لا يعلمون |
| | | इस प्रकार अल्लाह उन लोगों के दिलों पर ठप्पा लगा देता है जो अज्ञानी है |
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3469 | 30 | 60 | فاصبر إن وعد الله حق ولا يستخفنك الذين لا يوقنون |
| | | अतः धैर्य से काम लो निश्चय ही अल्लाह का वादा सच्चा है और जिन्हें विश्वास नहीं, वे तुम्हें कदापि हल्का न पाएँ |
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3470 | 31 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الم |
| | | अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ |
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3471 | 31 | 2 | تلك آيات الكتاب الحكيم |
| | | (जो आयतें उतर रही हैं) वे तत्वज्ञान से परिपूर्ण किताब की आयते हैं |
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3472 | 31 | 3 | هدى ورحمة للمحسنين |
| | | मार्गदर्शन और दयालुता उत्तमकारों के लिए |
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3473 | 31 | 4 | الذين يقيمون الصلاة ويؤتون الزكاة وهم بالآخرة هم يوقنون |
| | | जो नमाज़ का आयोजन करते है और ज़कात देते है और आख़िरत पर विश्वास रखते है |
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3474 | 31 | 5 | أولئك على هدى من ربهم وأولئك هم المفلحون |
| | | वही अपने रब की और से मार्ग पर हैं और वही सफल है |
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