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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3464 | 30 | 55 | ويوم تقوم الساعة يقسم المجرمون ما لبثوا غير ساعة كذلك كانوا يؤفكون |
| | | और जिस दिन क़यामत बरपा होगी तो गुनाहगार लोग कसमें खाएँगें कि वह (दुनिया में) घड़ी भर से ज्यादा नहीं ठहरे यूँ ही लोग (दुनिया में भी) इफ़तेरा परदाज़ियाँ करते रहे |
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3465 | 30 | 56 | وقال الذين أوتوا العلم والإيمان لقد لبثتم في كتاب الله إلى يوم البعث فهذا يوم البعث ولكنكم كنتم لا تعلمون |
| | | और जिन लोगों को (ख़ुदा की बारगाह से) इल्म और ईमान दिया गया है जवाब देगें कि (हाए) तुम तो ख़ुदा की किताब के मुताबिक़ रोज़े क़यामत तक (बराबर) ठहरे रहे फिर ये तो क़यामत का ही दिन है मगर तुम लोग तो उसका यक़ीन ही न रखते थे |
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3466 | 30 | 57 | فيومئذ لا ينفع الذين ظلموا معذرتهم ولا هم يستعتبون |
| | | तो उस दिन सरकश लोगों को न उनकी उज्र माअज़ेरत कुछ काम आएगी और न उनकी सुनवाई होगी |
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3467 | 30 | 58 | ولقد ضربنا للناس في هذا القرآن من كل مثل ولئن جئتهم بآية ليقولن الذين كفروا إن أنتم إلا مبطلون |
| | | और हमने तो इस कुरान में (लोगों के समझाने को) हर तरह की मिसल बयान कर दी और अगर तुम उनके पास कोई सा मौजिज़ा ले आओ |
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3468 | 30 | 59 | كذلك يطبع الله على قلوب الذين لا يعلمون |
| | | तो भी यक़ीनन कुफ्फ़ार यही बोल उठेंगे कि तुम लोग निरे दग़ाबाज़ हो जो लोग समझ (और इल्म) नहीं रखते उनके दिलों पर नज़र करके ख़ुदा यू तसदीक़ करता है (कि ये ईमान न लाएँगें) |
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3469 | 30 | 60 | فاصبر إن وعد الله حق ولا يستخفنك الذين لا يوقنون |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम सब्र करो बेशक ख़ुदा का वायदा सच्चा है और (कहीं) ऐसा न हो कि जो (तुम्हारी) तसदीक़ नहीं करते तुम्हें (बहका कर) ख़फ़ीफ़ करे दें |
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3470 | 31 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الم |
| | | अलिफ़ लाम मीम |
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3471 | 31 | 2 | تلك آيات الكتاب الحكيم |
| | | ये सूरा हिकमत से भरी हुई किताब की आयतें है |
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3472 | 31 | 3 | هدى ورحمة للمحسنين |
| | | जो (अज़सरतापा) उन लोगों के लिए हिदायत व रहमत है |
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3473 | 31 | 4 | الذين يقيمون الصلاة ويؤتون الزكاة وهم بالآخرة هم يوقنون |
| | | जो पाबन्दी से नमाज़ अदा करते हैं और ज़कात देते हैं और वही लोग आख़िरत का भी यक़ीन रखते हैं |
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