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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3458 | 30 | 49 | وإن كانوا من قبل أن ينزل عليهم من قبله لمبلسين |
| | | अगरचे ये लोग उन पर (बाराने रहमत) नाज़िल होने से पहले (बारिश से) शुरु ही से बिल्कुल मायूस (और मज़बूर) थे |
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3459 | 30 | 50 | فانظر إلى آثار رحمت الله كيف يحيي الأرض بعد موتها إن ذلك لمحيي الموتى وهو على كل شيء قدير |
| | | ग़रज़ ख़ुदा की रहमत के आसार की तरफ देखो तो कि वह क्योंकर ज़मीन को उसकी परती होने के बाद आबाद करता है बेशक यक़ीनी वही मुर्दो को ज़िन्दा करने वाला और वही हर चीज़ पर क़ादिर है |
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3460 | 30 | 51 | ولئن أرسلنا ريحا فرأوه مصفرا لظلوا من بعده يكفرون |
| | | और अगर हम (खेती की नुकसान देह) हवा भेजें फिर लोग खेती को (उसी हवा की वजह से) ज़र्द (परस मुर्दा) देखें तो वह लोग इसके बाद (फौरन) नाशुक्री करने लगें |
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3461 | 30 | 52 | فإنك لا تسمع الموتى ولا تسمع الصم الدعاء إذا ولوا مدبرين |
| | | (ऐ रसूल) तुम तो (अपनी) आवाज़ न मुर्दो ही को सुना सकते हो और न बहरों को सुना सकते हो (ख़ुसूसन) जब वह पीठ फेरकर चले जाएँ |
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3462 | 30 | 53 | وما أنت بهاد العمي عن ضلالتهم إن تسمع إلا من يؤمن بآياتنا فهم مسلمون |
| | | और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से (फेरकर) राह पर ला सकते हो तो तुम तो बस उन्हीं लोगों को सुना (समझा) सकते हो जो हमारी आयतों को दिल से मानें फिर यही लोग इस्लाम लाने वाले हैं |
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3463 | 30 | 54 | الله الذي خلقكم من ضعف ثم جعل من بعد ضعف قوة ثم جعل من بعد قوة ضعفا وشيبة يخلق ما يشاء وهو العليم القدير |
| | | खुदा ही तो है जिसने तुम्हें (एक निहायत) कमज़ोर चीज़ (नुत्फे) से पैदा किया फिर उसी ने (तुम में) बचपने की कमज़ोरी के बाद (शबाब की) क़ूवत अता की फिर उसी ने (तुममें जवानी की) क़ूवत के बाद कमज़ोरी और बुढ़ापा पैदा कर दिया वह जो चाहता पैदा करता है-और वही बड़ा वाकिफकार और (हर चीज़ पर) क़ाबू रखता है |
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3464 | 30 | 55 | ويوم تقوم الساعة يقسم المجرمون ما لبثوا غير ساعة كذلك كانوا يؤفكون |
| | | और जिस दिन क़यामत बरपा होगी तो गुनाहगार लोग कसमें खाएँगें कि वह (दुनिया में) घड़ी भर से ज्यादा नहीं ठहरे यूँ ही लोग (दुनिया में भी) इफ़तेरा परदाज़ियाँ करते रहे |
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3465 | 30 | 56 | وقال الذين أوتوا العلم والإيمان لقد لبثتم في كتاب الله إلى يوم البعث فهذا يوم البعث ولكنكم كنتم لا تعلمون |
| | | और जिन लोगों को (ख़ुदा की बारगाह से) इल्म और ईमान दिया गया है जवाब देगें कि (हाए) तुम तो ख़ुदा की किताब के मुताबिक़ रोज़े क़यामत तक (बराबर) ठहरे रहे फिर ये तो क़यामत का ही दिन है मगर तुम लोग तो उसका यक़ीन ही न रखते थे |
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3466 | 30 | 57 | فيومئذ لا ينفع الذين ظلموا معذرتهم ولا هم يستعتبون |
| | | तो उस दिन सरकश लोगों को न उनकी उज्र माअज़ेरत कुछ काम आएगी और न उनकी सुनवाई होगी |
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3467 | 30 | 58 | ولقد ضربنا للناس في هذا القرآن من كل مثل ولئن جئتهم بآية ليقولن الذين كفروا إن أنتم إلا مبطلون |
| | | और हमने तो इस कुरान में (लोगों के समझाने को) हर तरह की मिसल बयान कर दी और अगर तुम उनके पास कोई सा मौजिज़ा ले आओ |
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