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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3448 | 30 | 39 | وما آتيتم من ربا ليربو في أموال الناس فلا يربو عند الله وما آتيتم من زكاة تريدون وجه الله فأولئك هم المضعفون |
| | | और तुम लोग जो सूद देते हो ताकि लोगों के माल (दौलत) में तरक्क़ी हो तो (याद रहे कि ऐसा माल) ख़ुदा के यहॉ फूलता फलता नही और तुम लोग जो ख़ुदा की ख़ुशनूदी के इरादे से ज़कात देते हो तो ऐसे ही लोग (ख़ुदा की बारगाह से) दूना दून लेने वाले हैं |
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3449 | 30 | 40 | الله الذي خلقكم ثم رزقكم ثم يميتكم ثم يحييكم هل من شركائكم من يفعل من ذلكم من شيء سبحانه وتعالى عما يشركون |
| | | ख़ुदा वह (क़ादिर तवाना है) जिसने तुमको पैदा किया फिर उसी ने रोज़ी दी फिर वही तुमको मार डालेगा फिर वही तुमको (दोबारा) ज़िन्दा करेगा भला तुम्हारे (बनाए हुए ख़ुदा के) शरीकों में से कोई भी ऐसा है जो इन कामों में से कुछ भी कर सके जिसे ये लोग (उसका) शरीक बनाते हैं |
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3450 | 30 | 41 | ظهر الفساد في البر والبحر بما كسبت أيدي الناس ليذيقهم بعض الذي عملوا لعلهم يرجعون |
| | | वह उससे पाक व पाकीज़ा और बरतर है ख़़ुद लोगों ही के अपने हाथों की कारस्तानियों की बदौलत ख़ुश्क व तर में फसाद फैल गया ताकि जो कुछ ये लोग कर चुके हैं ख़ुदा उन को उनमें से बाज़ करतूतों का मज़ा चखा दे ताकि ये लोग अब भी बाज़ आएँ |
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3451 | 30 | 42 | قل سيروا في الأرض فانظروا كيف كان عاقبة الذين من قبل كان أكثرهم مشركين |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि ज़रा रुए ज़मीन पर चल फिरकर देखो तो कि जो लोग उसके क़ब्ल गुज़र गए उनके (अफ़आल) का अंजाम क्या हुआ उनमें से बहुतेरे तो मुशरिक ही हैं |
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3452 | 30 | 43 | فأقم وجهك للدين القيم من قبل أن يأتي يوم لا مرد له من الله يومئذ يصدعون |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम उस दिन के आने से पहले जो खुदा की तरफ से आकर रहेगा (और) कोई उसे रोक नहीं सकता अपना रुख़ मज़बूत (और सीधे दीन की तरफ किए रहो उस दिन लोग (परेशान होकर) अलग अलग हो जाएँगें |
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3453 | 30 | 44 | من كفر فعليه كفره ومن عمل صالحا فلأنفسهم يمهدون |
| | | जो काफ़िर बन बैठा उस पर उस के कुफ्र का वबाल है और जिन्होने अच्छे काम किए वह अपने ही आसाइश का सामान कर रहें है |
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3454 | 30 | 45 | ليجزي الذين آمنوا وعملوا الصالحات من فضله إنه لا يحب الكافرين |
| | | ताकि जो लोग ईमान लाए और अच्छे अच्छे काम किए उनको ख़ुदा अपने फज़ल व (करम) से अच्छी जज़ा अता करेगा वह यक़ीनन कुफ्फ़ार से उलफ़त नहीं रखता |
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3455 | 30 | 46 | ومن آياته أن يرسل الرياح مبشرات وليذيقكم من رحمته ولتجري الفلك بأمره ولتبتغوا من فضله ولعلكم تشكرون |
| | | उसी की (क़ुदरत) की निशानियों में से एक ये भी है कि वह हवाओं को (बारिश) की ख़ुशख़बरी के वास्ते (क़ब्ल से) भेज दिया करता है और ताकि तुम्हें अपनी रहमत की लज्ज़त चखाए और इसलिए भी कि (इसकी बदौलत) कश्तियां उसके हुक्म से चल खड़ी हो और ताकि तुम उसके फज़ल व करम से (अपनी रोज़ी) की तलाश करो और इसलिए भी ताकि तुम शुक्र करो |
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3456 | 30 | 47 | ولقد أرسلنا من قبلك رسلا إلى قومهم فجاءوهم بالبينات فانتقمنا من الذين أجرموا وكان حقا علينا نصر المؤمنين |
| | | औ (ऐ रसूल) हमने तुमसे पहले और भी बहुत से पैग़म्बर उनकी क़ौमों के पास भेजे तो वह पैग़म्बर वाज़ेए व रौशन लेकर आए (मगर उन लोगों ने न माना) तो उन मुजरिमों से हमने (खूब) बदला लिया और हम पर तो मोमिनीन की मदद करना लाज़िम था ही |
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3457 | 30 | 48 | الله الذي يرسل الرياح فتثير سحابا فيبسطه في السماء كيف يشاء ويجعله كسفا فترى الودق يخرج من خلاله فإذا أصاب به من يشاء من عباده إذا هم يستبشرون |
| | | ख़ुदा ही (क़ादिर तवाना) है जो हवाओं को भेजता है तो वह बादलों को उड़ाए उड़ाए फिरती हैं फिर वही ख़ुदा बादल को जिस तरह चाहता है आसमान में फैला देता है और (कभी) उसको टुकड़े (टुकड़े) कर देता है फिर तुम देखते हो कि बूँदियां उसके दरमियान से निकल पड़ती हैं फिर जब ख़ुदा उन्हें अपने बन्दों में से जिस पर चहता है बरसा देता है तो वह लोग खुशियाँ माानने लगते हैं |
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