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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
342 | 3 | 49 | ورسولا إلى بني إسرائيل أني قد جئتكم بآية من ربكم أني أخلق لكم من الطين كهيئة الطير فأنفخ فيه فيكون طيرا بإذن الله وأبرئ الأكمه والأبرص وأحيي الموتى بإذن الله وأنبئكم بما تأكلون وما تدخرون في بيوتكم إن في ذلك لآية لكم إن كنتم مؤمنين |
| | | और बनी इसराइल का रसूल (क़रार देगा और वह उनसे यूं कहेगा कि) मैं तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) यह निशानी लेकर आया हूं कि मैं गुंधीं हुई मिट्टी से एक परिन्दे की सूरत बनाऊॅगा फ़िर उस पर (कुछ) दम करूंगा तो वो ख़ुदा के हुक्म से उड़ने लगेगा और मैं ख़ुदा ही के हुक्म से मादरज़ाद (पैदायशी) अंधे और कोढ़ी को अच्छा करूंगा और मुर्दो को ज़िन्दा करूंगा और जो कुछ तुम खाते हो और अपने घरों में जमा करते हो मैं (सब) तुमको बता दूंगा अगर तुम ईमानदार हो तो बेशक तुम्हारे लिये इन बातों में (मेरी नबूवत की) बड़ी निशानी है |
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343 | 3 | 50 | ومصدقا لما بين يدي من التوراة ولأحل لكم بعض الذي حرم عليكم وجئتكم بآية من ربكم فاتقوا الله وأطيعون |
| | | और तौरेत जो मेरे सामने मौजूद है मैं उसकी तसदीक़ करता हूं और (मेरे आने की) एक ग़रज़ यह (भी) है कि जो चीजे तुम पर हराम है उनमें से बाज़ को (हुक्मे ख़ुदा से) हलाल कर दूं और मैं तुम्हारे परवरदिगार की तरफ़ से (अपनी नबूवत की) निशानी लेकर तुम्हारे पास आया हूं |
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344 | 3 | 51 | إن الله ربي وربكم فاعبدوه هذا صراط مستقيم |
| | | पस तुम ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो बेशक ख़ुदा ही मेरा और तुम्हारा परवरदिगार है |
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345 | 3 | 52 | فلما أحس عيسى منهم الكفر قال من أنصاري إلى الله قال الحواريون نحن أنصار الله آمنا بالله واشهد بأنا مسلمون |
| | | पस उसकी इबादत करो (क्योंकि) यही नजात का सीधा रास्ता है फिर जब ईसा ने (इतनी बातों के बाद भी) उनका कुफ़्र (पर अड़े रहना) देखा तो (आख़िर) कहने लगे कौन ऐसा है जो ख़ुदा की तरफ़ होकर मेरा मददगार बने (ये सुनकर) हवारियों ने कहा हम ख़ुदा के तरफ़दार हैं और हम ख़ुदा पर ईमान लाए |
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346 | 3 | 53 | ربنا آمنا بما أنزلت واتبعنا الرسول فاكتبنا مع الشاهدين |
| | | और (ईसा से कहा) आप गवाह रहिए कि हम फ़रमाबरदार हैं |
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347 | 3 | 54 | ومكروا ومكر الله والله خير الماكرين |
| | | और ख़ुदा की बारगाह में अर्ज़ की कि ऐ हमारे पालने वाले जो कुछ तूने नाज़िल किया हम उसपर ईमान लाए और हमने तेरे रसूल (ईसा) की पैरवी इख्तेयार की पस तू हमें (अपने रसूल के) गवाहों के दफ्तर में लिख ले |
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348 | 3 | 55 | إذ قال الله يا عيسى إني متوفيك ورافعك إلي ومطهرك من الذين كفروا وجاعل الذين اتبعوك فوق الذين كفروا إلى يوم القيامة ثم إلي مرجعكم فأحكم بينكم فيما كنتم فيه تختلفون |
| | | और यहूदियों (ने ईसा से) मक्कारी की और ख़ुदा ने उसके दफ़ईया की तदबीर की और ख़ुदा सब से बेहतर तदबीर करने वाला है (वह वक्त भी याद करो) जब ईसा से ख़ुदा ने फ़रमाया ऐ ईसा मैं ज़रूर तुम्हारी ज़िन्दगी की मुद्दत पूरी करके तुमको अपनी तरफ़ उठा लूंगा और काफ़िरों (की ज़िन्दगी) से तुमको पाक व पाकीज़ा रखूंगा और जिन लोगों ने तुम्हारी पैरवी की उनको क़यामत तक काफ़िरों पर ग़ालिब रखूंगा फिर तुम सबको मेरी तरफ़ लौटकर आना है |
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349 | 3 | 56 | فأما الذين كفروا فأعذبهم عذابا شديدا في الدنيا والآخرة وما لهم من ناصرين |
| | | तब (उस दिन) जिन बातों में तुम (दुनिया) में झगड़े करते थे (उनका) तुम्हारे दरमियान फ़ैसला कर दूंगा पस जिन लोगों ने कुफ़्र इख्तेयार किया उनपर दुनिया और आख़िरत (दोनों में) सख्त अज़ाब करूंगा और उनका कोई मददगार न होगा |
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350 | 3 | 57 | وأما الذين آمنوا وعملوا الصالحات فيوفيهم أجورهم والله لا يحب الظالمين |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे (अच्छे) काम किए तो ख़ुदा उनको उनका पूरा अज्र व सवाब देगा और ख़ुदा ज़ालिमों को दोस्त नहीं रखता |
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351 | 3 | 58 | ذلك نتلوه عليك من الآيات والذكر الحكيم |
| | | (ऐ रसूल) ये जो हम तुम्हारे सामने बयान कर रहे हैं कुदरते ख़ुदा की निशानियॉ और हिकमत से भरे हुये तज़किरे हैं |
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