بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
34052965فإذا ركبوا في الفلك دعوا الله مخلصين له الدين فلما نجاهم إلى البر إذا هم يشركون
फिर जब ये लोग कश्ती में सवार होते हैं तो निहायत ख़ुलूस से उसकी इबादत करने वाले बन कर ख़ुदा से दुआ करते हैं फिर जब उन्हें ख़ुश्की में (पहुँचा कर) नजात देता है तो फौरन शिर्क करने लगते हैं
34062966ليكفروا بما آتيناهم وليتمتعوا فسوف يعلمون
ताकि जो (नेअमतें) हमने उन्हें अता की हैं उनका इन्कार कर बैठें और ताकि (दुनिया में) ख़ूब चैन कर लें तो अनक़रीब ही (इसका नतीजा) उन्हें मालूम हो जाएगा
34072967أولم يروا أنا جعلنا حرما آمنا ويتخطف الناس من حولهم أفبالباطل يؤمنون وبنعمة الله يكفرون
क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि हमने हरम (मक्का) को अमन व इत्मेनान की जगह बनाया हालॉकि उनके गिर्द व नवाह से लोग उचक ले जाते हैं तो क्या ये लोग झूठे माबूदों पर ईमान लाते हैं और ख़ुदा की नेअमत की नाशुक्री करते हैं
34082968ومن أظلم ممن افترى على الله كذبا أو كذب بالحق لما جاءه أليس في جهنم مثوى للكافرين
और जो शख्स ख़ुदा पर झूठ बोहतान बॉधे या जब उसके पास कोई सच्ची बात आए तो झुठला दे इससे बढ़कर ज़ालिम कौन होगा क्या (इन) काफिरों का ठिकाना जहन्नुम में नहीं है (ज़रुर है)
34092969والذين جاهدوا فينا لنهدينهم سبلنا وإن الله لمع المحسنين
और जिन लोगों ने हमारी राह में जिहाद किया उन्हें हम ज़रुर अपनी राह की हिदायत करेंगे और इसमें शक नही कि ख़ुदा नेकोकारों का साथी है
3410301بسم الله الرحمن الرحيم الم
अलिफ़ लाम मीम
3411302غلبت الروم
(यहाँ से) बहुत क़रीब के मुल्क में रोमी (नसारा अहले फ़ारस आतिश परस्तों से) हार गए
3412303في أدنى الأرض وهم من بعد غلبهم سيغلبون
मगर ये लोग अनक़रीब ही अपने हार जाने के बाद चन्द सालों में फिर (अहले फ़ारस पर) ग़ालिब आ जाएँगे
3413304في بضع سنين لله الأمر من قبل ومن بعد ويومئذ يفرح المؤمنون
क्योंकि (इससे) पहले और बाद (ग़रज़ हर ज़माने में) हर अम्र का एख्तेयार ख़ुदा ही को है और उस दिन ईमानदार लोग ख़ुदा की मदद से खुश हो जाएँगे
3414305بنصر الله ينصر من يشاء وهو العزيز الرحيم
वह जिसकी चाहता है मदद करता है और वह (सब पर) ग़ालिब रहम करने वाला है


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