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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
341 | 3 | 48 | ويعلمه الكتاب والحكمة والتوراة والإنجيل |
| | | "और उसको किताब, हिकमत, तौरात और इंजील का भी ज्ञान देगा |
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342 | 3 | 49 | ورسولا إلى بني إسرائيل أني قد جئتكم بآية من ربكم أني أخلق لكم من الطين كهيئة الطير فأنفخ فيه فيكون طيرا بإذن الله وأبرئ الأكمه والأبرص وأحيي الموتى بإذن الله وأنبئكم بما تأكلون وما تدخرون في بيوتكم إن في ذلك لآية لكم إن كنتم مؤمنين |
| | | "और उसे इसराईल की संतान की ओर रसूल बनाकर भेजेगा। (वह कहेगा) कि मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक निशाली लेकर आया हूँ कि मैं तुम्हारे लिए मिट्टी से पक्षी के रूप जैसी आकृति बनाता हूँ, फिर उसमें फूँक मारता हूँ, तो वह अल्लाह के आदेश से उड़ने लगती है। और मैं अल्लाह के आदेश से अंधे और कोढ़ी को अच्छा कर देता हूँ और मुर्दे को जीवित कर देता हूँ। और मैं तुम्हें बता देता हूँ जो कुछ तुम खाते हो और जो कुछ अपने घरों में इकट्ठा करके रखते हो। निस्संदेह इसमें तुम्हारे लिए एक निशानी है, यदि तुम माननेवाले हो |
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343 | 3 | 50 | ومصدقا لما بين يدي من التوراة ولأحل لكم بعض الذي حرم عليكم وجئتكم بآية من ربكم فاتقوا الله وأطيعون |
| | | "और मैं तौरात की, जो मेरे आगे है, पुष्टि करता हूँ और इसलिए आया हूँ कि तुम्हारे लिए कुछ उन चीज़ों को हलाल कर दूँ जो तुम्हारे लिए हराम थी। और मैं तुम्हारे पास तुम्हारे रब की ओर से एक निशानी लेकर आया हूँ। अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो |
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344 | 3 | 51 | إن الله ربي وربكم فاعبدوه هذا صراط مستقيم |
| | | "निस्संदेह अल्लाह मेरी भी रब है और तुम्हारा रब भी, अतः तुम उसी की बन्दगी करो। यही सीधा मार्ग है।" |
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345 | 3 | 52 | فلما أحس عيسى منهم الكفر قال من أنصاري إلى الله قال الحواريون نحن أنصار الله آمنا بالله واشهد بأنا مسلمون |
| | | फिर जब ईसा को उनके अविश्वास और इनकार का आभास हुआ तो उसने कहा, "कौन अल्लाह की ओर बढ़ने में मेरा सहायक होता है?" हवारियों (साथियों) ने कहा, "हम अल्लाह के सहायक हैं। हम अल्लाह पर ईमान लाए और गवाह रहिए कि हम मुस्लिम है |
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346 | 3 | 53 | ربنا آمنا بما أنزلت واتبعنا الرسول فاكتبنا مع الشاهدين |
| | | "हमारे रब! तूने जो कुछ उतारा है, हम उसपर ईमान लाए और इस रसूल का अनुसरण स्वीकार किया। अतः तू हमें गवाही देनेवालों में लिख ले।" |
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347 | 3 | 54 | ومكروا ومكر الله والله خير الماكرين |
| | | और वे चाल चले तो अल्लाह ने भी उसका तोड़ किया और अल्लाह उत्तम तोड़ करनेवाला है |
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348 | 3 | 55 | إذ قال الله يا عيسى إني متوفيك ورافعك إلي ومطهرك من الذين كفروا وجاعل الذين اتبعوك فوق الذين كفروا إلى يوم القيامة ثم إلي مرجعكم فأحكم بينكم فيما كنتم فيه تختلفون |
| | | जब अल्लाह ने कहा, "ऐ ईसा! मैं तुझे अपने क़ब्जे में ले लूँगा और तुझे अपनी ओर उठा लूँगा और अविश्वासियों (की कुचेष्टाओं) से तुझे पाक कर दूँगा और तेरे अनुयायियों को क़ियामत के दिन तक लोगों के ऊपर रखूँगा, जिन्होंने इनकार किया। फिर मेरी ओर तुम्हें लौटना है। फिर मैं तुम्हारे बीच उन चीज़ों का फ़ैसला कर दूँगा, जिनके विषय में तुम विभेद करते रहे हो |
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349 | 3 | 56 | فأما الذين كفروا فأعذبهم عذابا شديدا في الدنيا والآخرة وما لهم من ناصرين |
| | | "तो जिन लोगों ने इनकार की नीति अपनाई, उन्हें दुनिया और आख़िरत में कड़ी यातना दूँगा। उनका कोई सहायक न होगा।" |
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350 | 3 | 57 | وأما الذين آمنوا وعملوا الصالحات فيوفيهم أجورهم والله لا يحب الظالمين |
| | | रहे वे लोग जो ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें वह उनका पूरा-पूरा बदला देगा। अल्लाह अत्याचारियों से प्रेम नहीं करता |
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