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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3396 | 29 | 56 | يا عبادي الذين آمنوا إن أرضي واسعة فإياي فاعبدون |
| | | ऐ मेरे ईमानदार बन्दों मेरी ज़मीन तो यक़ीनन कुशादा है तो तुम मेरी ही इबादत करो |
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3397 | 29 | 57 | كل نفس ذائقة الموت ثم إلينا ترجعون |
| | | हर शख्स (एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है फिर तुम सब आख़िर हमारी ही तरफ लौटए जाओंगे |
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3398 | 29 | 58 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات لنبوئنهم من الجنة غرفا تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها نعم أجر العاملين |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको हम बेहश्त के झरोखों में जगह देगें जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें वह हमेशा रहेंगे (अच्छे चलन वालो की भी क्या ख़ूब ख़री मज़दूरी है) |
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3399 | 29 | 59 | الذين صبروا وعلى ربهم يتوكلون |
| | | जिन्होंने (दुनिया में मुसिबतों पर) सब्र किया और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं |
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3400 | 29 | 60 | وكأين من دابة لا تحمل رزقها الله يرزقها وإياكم وهو السميع العليم |
| | | और ज़मीन पर चलने वालों में बहुतेरे ऐसे हैं जो अपनी रोज़ी अपने ऊपर लादे नहीं फिरते ख़ुदा ही उनको भी रोज़ी देता है और तुम को भी और वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफकार है |
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3401 | 29 | 61 | ولئن سألتهم من خلق السماوات والأرض وسخر الشمس والقمر ليقولن الله فأنى يؤفكون |
| | | (ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह कहाँ बहके चले जाते हैं |
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3402 | 29 | 62 | الله يبسط الرزق لمن يشاء من عباده ويقدر له إن الله بكل شيء عليم |
| | | ख़ुदा ही अपने बन्दों में से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है तंग कर देता है इसमें शक नहीं कि ख़ुदा ही हर चीज़ से वाक़िफ है |
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3403 | 29 | 63 | ولئن سألتهم من نزل من السماء ماء فأحيا به الأرض من بعد موتها ليقولن الله قل الحمد لله بل أكثرهم لا يعقلون |
| | | और (ऐ रसूल) अगर तुम उससे पूछो कि किसने आसमान से पानी बरसाया फिर उसके ज़रिये से ज़मीन को इसके मरने (परती होने) के बाद ज़िन्दा (आबाद) किया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने (ऐ रसूल) तुम कह दो अल्हम दो लिल्लाह-मगर उनमे से बहुतेरे (इतना भी) नहीं समझते |
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3404 | 29 | 64 | وما هذه الحياة الدنيا إلا لهو ولعب وإن الدار الآخرة لهي الحيوان لو كانوا يعلمون |
| | | और ये दुनिया की ज़िन्दगी तो खेल तमाशे के सिवा कुछ नहीं और मगर ये लोग समझें बूझें तो इसमे शक नहीं कि अबदी ज़िन्दगी (की जगह) तो बस आख़ेरत का घर है (बाक़ी लग़ो) |
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3405 | 29 | 65 | فإذا ركبوا في الفلك دعوا الله مخلصين له الدين فلما نجاهم إلى البر إذا هم يشركون |
| | | फिर जब ये लोग कश्ती में सवार होते हैं तो निहायत ख़ुलूस से उसकी इबादत करने वाले बन कर ख़ुदा से दुआ करते हैं फिर जब उन्हें ख़ुश्की में (पहुँचा कर) नजात देता है तो फौरन शिर्क करने लगते हैं |
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