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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3394 | 29 | 54 | يستعجلونك بالعذاب وإن جهنم لمحيطة بالكافرين |
| | | वे तुमसे यातना के लिए जल्दी मचा रहे है, हालाँकि जहन्नम इनकार करनेवालों को अपने घेरे में लिए हुए है |
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3395 | 29 | 55 | يوم يغشاهم العذاب من فوقهم ومن تحت أرجلهم ويقول ذوقوا ما كنتم تعملون |
| | | जिस दिन यातना उन्हें उनके ऊपर से ढाँक लेगी और उनके पाँव के नीचे से भी, और वह कहेगा, "चखो उसका मज़ा जो कुछ तुम करते रहे हो!" |
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3396 | 29 | 56 | يا عبادي الذين آمنوا إن أرضي واسعة فإياي فاعبدون |
| | | ऐ मेरे बन्दों, जो ईमान लाए हो! निस्संदेह मेरी धरती विशाल है। अतः तुम मेरी ही बन्दगी करो |
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3397 | 29 | 57 | كل نفس ذائقة الموت ثم إلينا ترجعون |
| | | प्रत्येक जीव को मृत्यु का स्वाद चखना है। फिर तुम हमारी ओर वापस लौटोगे |
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3398 | 29 | 58 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات لنبوئنهم من الجنة غرفا تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها نعم أجر العاملين |
| | | जो लोग ईमान लाए और उन्होंने अच्छे कर्म किए उन्हें हम जन्नत की ऊपरी मंज़िल के कक्षों में जगह देंगे, जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी। वे उसमें सदैव रहेंगे। क्या ही अच्छा प्रतिदान है कर्म करनेवालों का! |
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3399 | 29 | 59 | الذين صبروا وعلى ربهم يتوكلون |
| | | जिन्होंने धैर्य से काम लिया और जो अपने रब पर भरोसा रखते है |
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3400 | 29 | 60 | وكأين من دابة لا تحمل رزقها الله يرزقها وإياكم وهو السميع العليم |
| | | कितने ही चलनेवाले जीवधारी है, जो अपनी रोज़ी उठाए नहीं फिरते। अल्लाह ही उन्हें रोज़ी देता है और तुम्हें भी! वह सब कुछ सुनता, जानता है |
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3401 | 29 | 61 | ولئن سألتهم من خلق السماوات والأرض وسخر الشمس والقمر ليقولن الله فأنى يؤفكون |
| | | और यदि तुम उनसे पूछो कि "किसने आकाशों और धरती को पैदा किया और सूर्य और चन्द्रमा को काम में लगाया?" तो वे बोल पड़ेगे, "अल्लाह ने!" फिर वे किधर उलटे फिरे जाते है? |
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3402 | 29 | 62 | الله يبسط الرزق لمن يشاء من عباده ويقدر له إن الله بكل شيء عليم |
| | | अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है आजीविका विस्तीर्ण कर देता है और जिसके लिए चाहता है नपी-तुली कर देता है। निस्संदेह अल्लाह हरेक चीज़ को भली-भाँति जानता है |
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3403 | 29 | 63 | ولئن سألتهم من نزل من السماء ماء فأحيا به الأرض من بعد موتها ليقولن الله قل الحمد لله بل أكثرهم لا يعقلون |
| | | और यदि तुम उनसे पूछो कि "किसने आकाश से पानी बरसाया; फिर उसके द्वारा धरती को उसके मुर्दा हो जाने के पश्चात जीवित किया?" तो वे बोल पड़ेंगे, "अल्लाह ने!" कहो, "सारी प्रशंसा अल्लाह ही के लिए है।" किन्तु उनमें से अधिकतर बुद्धि से काम नहीं लेते |
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