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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3393 | 29 | 53 | ويستعجلونك بالعذاب ولولا أجل مسمى لجاءهم العذاب وليأتينهم بغتة وهم لا يشعرون |
| | | और (ऐ रसूल) तुमसे लोग अज़ाब के नाज़िल होने की जल्दी करते हैं और अगर (अज़ाब का) वक्त मुअय्यन न होता तो यक़ीनन उनके पास अब तक अज़ाब आ जाता और (आख़िर एक दिन) उन पर अचानक ज़रुर आ पड़ेगा और उनको ख़बर भी न होगी |
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3394 | 29 | 54 | يستعجلونك بالعذاب وإن جهنم لمحيطة بالكافرين |
| | | ये लोग तुमसे अज़ाब की जल्दी करते हैं और ये यक़ीनी बात है कि दोज़ख़ काफिरों को (इस तरह) घेर कर रहेगी (कि रुक न सकेंगे) |
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3395 | 29 | 55 | يوم يغشاهم العذاب من فوقهم ومن تحت أرجلهم ويقول ذوقوا ما كنتم تعملون |
| | | जिस दिन अज़ाब उनके सर के ऊपर से और उनके पॉव के नीचे से उनको ढॉके होगा और ख़ुदा (उनसे) फरमाएगा कि जो जो कारस्तानियॉ तुम (दुनिया में) करते थे अब उनका मज़ा चखो |
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3396 | 29 | 56 | يا عبادي الذين آمنوا إن أرضي واسعة فإياي فاعبدون |
| | | ऐ मेरे ईमानदार बन्दों मेरी ज़मीन तो यक़ीनन कुशादा है तो तुम मेरी ही इबादत करो |
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3397 | 29 | 57 | كل نفس ذائقة الموت ثم إلينا ترجعون |
| | | हर शख्स (एक न एक दिन) मौत का मज़ा चखने वाला है फिर तुम सब आख़िर हमारी ही तरफ लौटए जाओंगे |
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3398 | 29 | 58 | والذين آمنوا وعملوا الصالحات لنبوئنهم من الجنة غرفا تجري من تحتها الأنهار خالدين فيها نعم أجر العاملين |
| | | और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए उनको हम बेहश्त के झरोखों में जगह देगें जिनके नीचे नहरें जारी हैं जिनमें वह हमेशा रहेंगे (अच्छे चलन वालो की भी क्या ख़ूब ख़री मज़दूरी है) |
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3399 | 29 | 59 | الذين صبروا وعلى ربهم يتوكلون |
| | | जिन्होंने (दुनिया में मुसिबतों पर) सब्र किया और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं |
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3400 | 29 | 60 | وكأين من دابة لا تحمل رزقها الله يرزقها وإياكم وهو السميع العليم |
| | | और ज़मीन पर चलने वालों में बहुतेरे ऐसे हैं जो अपनी रोज़ी अपने ऊपर लादे नहीं फिरते ख़ुदा ही उनको भी रोज़ी देता है और तुम को भी और वह बड़ा सुनने वाला वाक़िफकार है |
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3401 | 29 | 61 | ولئن سألتهم من خلق السماوات والأرض وسخر الشمس والقمر ليقولن الله فأنى يؤفكون |
| | | (ऐ रसूल) अगर तुम उनसे पूछो कि (भला) किसने सारे आसमान व ज़मीन को पैदा किया और चाँद और सूरज को काम में लगाया तो वह ज़रुर यही कहेंगे कि अल्लाह ने फिर वह कहाँ बहके चले जाते हैं |
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3402 | 29 | 62 | الله يبسط الرزق لمن يشاء من عباده ويقدر له إن الله بكل شيء عليم |
| | | ख़ुदा ही अपने बन्दों में से जिसकी रोज़ी चाहता है कुशादा कर देता है और जिसके लिए चाहता है तंग कर देता है इसमें शक नहीं कि ख़ुदा ही हर चीज़ से वाक़िफ है |
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