بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
33822942إن الله يعلم ما يدعون من دونه من شيء وهو العزيز الحكيم
ख़ुदा को छोड़कर ये लोग जिस चीज़ को पुकारते हैं उससे ख़ुदा यक़ीनी वाक़िफ है और वह तो (सब पर) ग़ालिब (और) हिकमत वाला है
33832943وتلك الأمثال نضربها للناس وما يعقلها إلا العالمون
और हम ये मिसाले लोगों के (समझाने) के वास्ते बयान करते हैं और उन को तो बस उलमा ही समझते हैं
33842944خلق الله السماوات والأرض بالحق إن في ذلك لآية للمؤمنين
ख़ुदा ने सारे आसमान और ज़मीन को बिल्कुल ठीक पैदा किया इसमें शक नहीं कि उसमें ईमानदारों के वास्ते (कुदरते ख़ुदा की) यक़ीनी बड़ी निशानी है
33852945اتل ما أوحي إليك من الكتاب وأقم الصلاة إن الصلاة تنهى عن الفحشاء والمنكر ولذكر الله أكبر والله يعلم ما تصنعون
(ऐ रसूल) जो किताब तुम्हारे पास नाज़िल की गयी है उसकी तिलावत करो और पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो बेशक नमाज़ बेहयाई और बुरे कामों से बाज़ रखती है और ख़ुदा की याद यक़ीनी बड़ा मरतबा रखती है और तुम लोग जो कुछ करते हो ख़ुदा उससे वाक़िफ है
33862946ولا تجادلوا أهل الكتاب إلا بالتي هي أحسن إلا الذين ظلموا منهم وقولوا آمنا بالذي أنزل إلينا وأنزل إليكم وإلهنا وإلهكم واحد ونحن له مسلمون
और (ऐ ईमानदारों) अहले किताब से मनाज़िरा न किया करो मगर उमदा और शाएस्ता अलफाज़ व उनवान से लेकिन उनमें से जिन लोगों ने तुम पर ज़ुल्म किया (उनके साथ रिआयत न करो) और साफ साफ कह दो कि जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो किताब तुम पर नाज़िल हुई है हम तो सब पर ईमान ला चुके और हमारा माबूद और तुम्हारा माबूद एक ही है और हम उसी के फरमाबरदार है
33872947وكذلك أنزلنا إليك الكتاب فالذين آتيناهم الكتاب يؤمنون به ومن هؤلاء من يؤمن به وما يجحد بآياتنا إلا الكافرون
और (ऐ रसूल जिस तरह अगले पैग़म्बरों पर किताबें उतारी) उसी तरह हमने तुम्हारे पास किताब नाज़िल की तो जिन लोगों को हमने (पहले) किताब अता की है वह उस पर भी ईमान रखते हैं और (अरबो) में से बाज़ वह हैं जो उस पर ईमान रखते हैं और हमारी आयतों के तो बस पक्के कट्टर काफिर ही मुनकिर है
33882948وما كنت تتلو من قبله من كتاب ولا تخطه بيمينك إذا لارتاب المبطلون
और (ऐ रसूल) क़ुरान से पहले न तो तुम कोई किताब ही पढ़ते थे और न अपने हाथ से तुम लिखा करते थे ऐसा होता तो ये झूठे ज़रुर (तुम्हारी नबुवत में) शक करते
33892949بل هو آيات بينات في صدور الذين أوتوا العلم وما يجحد بآياتنا إلا الظالمون
मगर जिन लोगों को (ख़ुदा की तरफ से) इल्म अता हुआ है उनके दिल में ये (क़ुरान) वाजेए व रौशन आयतें हैं और सरकशी के सिवा हमारी आयतो से कोई इन्कार नहीं करता
33902950وقالوا لولا أنزل عليه آيات من ربه قل إنما الآيات عند الله وإنما أنا نذير مبين
और (कुफ्फ़ार अरब) कहते हैं कि इस (रसूल) पर उसके परवरदिगार की तरफ से मौजिज़े क्यों नही नाज़िल होते (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि मौजिज़े तो बस ख़ुदा ही के पास हैं और मै तो सिर्फ साफ साफ (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला हूँ
33912951أولم يكفهم أنا أنزلنا عليك الكتاب يتلى عليهم إن في ذلك لرحمة وذكرى لقوم يؤمنون
क्या उनके लिए ये काफी नहीं कि हमने तुम पर क़ुरान नाज़िल किया जो उनके सामने पढ़ा जाता है इसमें शक नहीं कि ईमानदार लोगों के लिए इसमें (ख़ुदा की बड़ी) मेहरबानी और (अच्छी ख़ासी) नसीहत है


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