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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3382 | 29 | 42 | إن الله يعلم ما يدعون من دونه من شيء وهو العزيز الحكيم |
| | | निस्संदेह अल्लाह उन चीज़ों को भली-भाँति जानता है, जिन्हें ये उससे हटकर पुकारते है। वह तो अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है |
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3383 | 29 | 43 | وتلك الأمثال نضربها للناس وما يعقلها إلا العالمون |
| | | ये मिसालें हम लोगों के लिए पेश करते है, परन्तु इनको ज्ञानवान ही समझते है |
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3384 | 29 | 44 | خلق الله السماوات والأرض بالحق إن في ذلك لآية للمؤمنين |
| | | अल्लाह ने आकाशों और धरती को सत्य के साथ पैदा किया। निश्चय ही इसमें ईमानवालों के लिए एक बड़ी निशानी है |
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3385 | 29 | 45 | اتل ما أوحي إليك من الكتاب وأقم الصلاة إن الصلاة تنهى عن الفحشاء والمنكر ولذكر الله أكبر والله يعلم ما تصنعون |
| | | उस किताब को पढ़ो जो तुम्हारी ओर प्रकाशना के द्वारा भेजी गई है, और नमाज़ का आयोजन करो। निस्संदेह नमाज़ अश्लीलता और बुराई से रोकती है। और अल्लाह का याद करना तो बहुत बड़ी चीज़ है। अल्लाह जानता है जो कुछ तुम रचते और बनाते हो |
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3386 | 29 | 46 | ولا تجادلوا أهل الكتاب إلا بالتي هي أحسن إلا الذين ظلموا منهم وقولوا آمنا بالذي أنزل إلينا وأنزل إليكم وإلهنا وإلهكم واحد ونحن له مسلمون |
| | | और किताबवालों से बस उत्तम रीति ही से वाद-विवाद करो - रहे वे लोग जो उनमें ज़ालिम हैं, उनकी बात दूसरी है - और कहो - "हम ईमान लाए उस चीज़ पर जो अवतरित हुई और तुम्हारी ओर भी अवतरित हुई। और हमारा पूज्य और तुम्हारा पूज्य अकेला ही है और हम उसी के आज्ञाकारी है।" |
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3387 | 29 | 47 | وكذلك أنزلنا إليك الكتاب فالذين آتيناهم الكتاب يؤمنون به ومن هؤلاء من يؤمن به وما يجحد بآياتنا إلا الكافرون |
| | | इसी प्रकार हमने तुम्हारी ओर किताब अवतरित की है, तो जिन्हें हमने किताब प्रदान की है वे उसपर ईमान लाएँगे। उनमें से कुछ उसपर ईमान ला भी रहे है। हमारी आयतों का इनकार तो केवल न माननेवाले ही करते है |
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3388 | 29 | 48 | وما كنت تتلو من قبله من كتاب ولا تخطه بيمينك إذا لارتاب المبطلون |
| | | इससे पहले तुम न कोई किताब पढ़ते थे और न उसे अपने हाथ से लिखते ही थे। ऐसा होता तो ये मिथ्यावादी सन्देह में पड़ सकते थे |
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3389 | 29 | 49 | بل هو آيات بينات في صدور الذين أوتوا العلم وما يجحد بآياتنا إلا الظالمون |
| | | नहीं, बल्कि वे तो उन लोगों के सीनों में विद्यमान खुली निशानियाँ है, जिन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ है। हमारी आयतों का इनकार तो केवल ज़ालिम ही करते है |
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3390 | 29 | 50 | وقالوا لولا أنزل عليه آيات من ربه قل إنما الآيات عند الله وإنما أنا نذير مبين |
| | | उनका कहना है कि "उसपर उसके रब की ओर से निशानियाँ क्यों नहीं अवतरित हुई?" कह दो, "निशानियाँ तो अल्लाह ही के पास है। मैं तो केवल स्पष्ट रूप से सचेत करनेवाला हूँ।" |
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3391 | 29 | 51 | أولم يكفهم أنا أنزلنا عليك الكتاب يتلى عليهم إن في ذلك لرحمة وذكرى لقوم يؤمنون |
| | | क्या उनके लिए यह पर्याप्त नहीं कि हमने तुमपर किताब अवतरित की, जो उन्हें पढ़कर सुनाई जाती है? निस्संदेह उसमें उन लोगों के लिए दयालुता है और अनुस्मृति है जो ईमान लाएँ |
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