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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3357 | 29 | 17 | إنما تعبدون من دون الله أوثانا وتخلقون إفكا إن الذين تعبدون من دون الله لا يملكون لكم رزقا فابتغوا عند الله الرزق واعبدوه واشكروا له إليه ترجعون |
| | | तुम तो अल्लाह से हटकर बस मूर्तियों को पूज रहे हो और झूठ घड़ रहे हो। तुम अल्लाह से हटकर जिनको पूजते हो वे तुम्हारे लिए रोज़ी का भी अधिकार नहीं रखते। अतः तुम अल्लाह ही के यहाँ रोज़ी तलाश करो और उसी की बन्दगी करो और उसके आभारी बनो। तुम्हें उसी की ओर लौटकर जाना है |
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3358 | 29 | 18 | وإن تكذبوا فقد كذب أمم من قبلكم وما على الرسول إلا البلاغ المبين |
| | | और यदि तुम झुठलाते हो तो तुमसे पहले कितने ही समुदाय झुठला चुके है। रसूल पर तो बस केवल स्पष्ट रूप से (सत्य संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है।" |
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3359 | 29 | 19 | أولم يروا كيف يبدئ الله الخلق ثم يعيده إن ذلك على الله يسير |
| | | क्या उन्होंने देखा नहीं कि अल्लाह किस प्रकार पैदाइश का आरम्भ करता है और फिर उसकी पुनरावृत्ति करता है? निस्संदेह यह अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है |
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3360 | 29 | 20 | قل سيروا في الأرض فانظروا كيف بدأ الخلق ثم الله ينشئ النشأة الآخرة إن الله على كل شيء قدير |
| | | कहो कि, "धरती में चलो-फिरो और देखो कि उसने किस प्रकार पैदाइश का आरम्भ किया। फिर अल्लाह पश्चात्वर्ती उठान उठाएगा। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है |
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3361 | 29 | 21 | يعذب من يشاء ويرحم من يشاء وإليه تقلبون |
| | | वह जिसे चाहे यातना दे और जिसपर चाहे दया करे। और उसी की ओर तुम्हें पलटकर जाना है।" |
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3362 | 29 | 22 | وما أنتم بمعجزين في الأرض ولا في السماء وما لكم من دون الله من ولي ولا نصير |
| | | तुम न तो धरती में क़ाबू से बाहर निकल सकते हो और न आकाश में। और अल्लाह से हटकर न तो तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक |
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3363 | 29 | 23 | والذين كفروا بآيات الله ولقائه أولئك يئسوا من رحمتي وأولئك لهم عذاب أليم |
| | | और जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों और उससे मिलने का इनकार किया, वही लोग है जो मेरी दयालुता से निराश हुए और वही है जिनके लिए दुखद यातना है। - |
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3364 | 29 | 24 | فما كان جواب قومه إلا أن قالوا اقتلوه أو حرقوه فأنجاه الله من النار إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | फिर उनकी क़ौम के लोगों का उत्तर इसके सिवा और कुछ न था कि उन्होंने कहा, "मार डालो उसे या जला दो उसे!" अंततः अल्लाह ने उसको आग से बचा लिया। निश्चय ही इसमें उन लोगों के लिए निशानियाँ है, जो ईमान लाएँ |
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3365 | 29 | 25 | وقال إنما اتخذتم من دون الله أوثانا مودة بينكم في الحياة الدنيا ثم يوم القيامة يكفر بعضكم ببعض ويلعن بعضكم بعضا ومأواكم النار وما لكم من ناصرين |
| | | और उसने कहा, "अल्लाह से हटकर तुमने कुछ मूर्तियों को केवल सांसारिक जीवन में अपने पारस्परिक प्रेम के कारण पकड़ रखा है। फिर क़ियामत के दिन तुममें से एक-दूसरे का इनकार करेगा और तुममें से एक-दूसरे पर लानत करेगा। तुम्हारा ठौर-ठिकाना आग है और तुम्हारा कोई सहायक न होगा।" |
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3366 | 29 | 26 | فآمن له لوط وقال إني مهاجر إلى ربي إنه هو العزيز الحكيم |
| | | फिर लूत ने उसकी बात मानी औऱ उसने कहा, "निस्संदेह मैं अपने रब की ओर हिजरत करता हूँ। निस्संदेह वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी है।" |
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