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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3356 | 29 | 16 | وإبراهيم إذ قال لقومه اعبدوا الله واتقوه ذلكم خير لكم إن كنتم تعلمون |
| | | और इबराहीम को (याद करो) जब उन्होंने कहा कि (भाईयों) ख़ुदा की इबादत करो और उससे डरो अगर तुम समझते बूझते हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है |
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3357 | 29 | 17 | إنما تعبدون من دون الله أوثانا وتخلقون إفكا إن الذين تعبدون من دون الله لا يملكون لكم رزقا فابتغوا عند الله الرزق واعبدوه واشكروا له إليه ترجعون |
| | | (मगर) तुम लोग तो ख़ुदा को छोड़कर सिर्फ बुतों की परसतिश करते हैं और झूठी बातें (अपने दिल से) गढ़ते हो इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा को छोड़कर जिन लोगों की तुम परसतिश करते हो वह तुम्हारी रोज़ी का एख्तेयार नही रखते-बस ख़ुदा ही से रोज़ी भी माँगों और उसकी इबादत भी करो उसका शुक्र करो (क्योंकि) तुम लोग (एक दिन) उसी की तरफ लौटाए जाओगे |
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3358 | 29 | 18 | وإن تكذبوا فقد كذب أمم من قبلكم وما على الرسول إلا البلاغ المبين |
| | | और (ऐ अहले मक्का) अगर तुमने (मेरे रसूल को) झुठलाया तो (कुछ परवाह नहीं) तुमसे पहले भी तो बहुतेरी उम्मते (अपने पैग़म्बरों को) झुठला चुकी हैं और रसूल के ज़िम्मे तो सिर्फ (एहक़ाम का) पहुँचा देना है |
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3359 | 29 | 19 | أولم يروا كيف يبدئ الله الخلق ثم يعيده إن ذلك على الله يسير |
| | | बस क्या उन लोगों ने इस पर ग़ौर नहीं किया कि ख़ुदा किस तरह मख़लूकात को पहले पहल पैदा करता है और फिर उसको दोबारा पैदा करेगा ये तो ख़ुदा के नज़दीक बहुत आसान बात है |
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3360 | 29 | 20 | قل سيروا في الأرض فانظروا كيف بدأ الخلق ثم الله ينشئ النشأة الآخرة إن الله على كل شيء قدير |
| | | (ऐ रसूल इन लोगों से) तुम कह दो कि ज़रा रुए ज़मीन पर चलफिर कर देखो तो कि ख़ुदा ने किस तरह पहले पहल मख़लूक को पैदा किया फिर (उसी तरह वही) ख़ुदा (क़यामत के दिन) आखिरी पैदाइश पैदा करेगा- बेशक ख़ुदा हर चीज़ पर क़ादिर है |
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3361 | 29 | 21 | يعذب من يشاء ويرحم من يشاء وإليه تقلبون |
| | | जिस पर चाहे अज़ाब करे और जिस पर चाहे रहम करे और तुम लोग (सब के सब) उसी की तरफ लौटाए जाओगे |
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3362 | 29 | 22 | وما أنتم بمعجزين في الأرض ولا في السماء وما لكم من دون الله من ولي ولا نصير |
| | | और न तो तुम ज़मीन ही में ख़ुदा को ज़ेर कर सकते हो और न आसमान में और ख़ुदा के सिवा न तो तुम्हारा कोई सरपरस्त है और न मददगार |
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3363 | 29 | 23 | والذين كفروا بآيات الله ولقائه أولئك يئسوا من رحمتي وأولئك لهم عذاب أليم |
| | | और जिन लोगों ने ख़ुदा की आयतों और (क़यामत के दिन) उसके सामने हाज़िर होने से इन्कार किया मेरी रहमत से मायूस हो गए हैं और उन्हीं लोगों के वास्ते दर्दनाक अज़ाब है |
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3364 | 29 | 24 | فما كان جواب قومه إلا أن قالوا اقتلوه أو حرقوه فأنجاه الله من النار إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | ग़रज़ इबराहीम की क़ौम के पास (इन बातों का) इसके सिवा कोई जवाब न था कि बाहम कहने लगे इसको मार डालो या जला (कर ख़ाक) कर डालो (आख़िर वह कर गुज़रे) तो ख़ुदा ने उनको आग से बचा लिया इसमें शक नहीं कि दुनियादार लोगों के वास्ते इस वाकिये में (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
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3365 | 29 | 25 | وقال إنما اتخذتم من دون الله أوثانا مودة بينكم في الحياة الدنيا ثم يوم القيامة يكفر بعضكم ببعض ويلعن بعضكم بعضا ومأواكم النار وما لكم من ناصرين |
| | | और इबराहीम ने (अपनी क़ौम से) कहा कि तुम लोगों ने ख़ुदा को छोड़कर बुतो को सिर्फ दुनिया की ज़िन्दगी में बाहम मोहब्त करने की वजह से (ख़ुदा) बना रखा है फिर क़यामत के दिन तुम में से एक का एक इनकार करेगा और एक दूसरे पर लानत करेगा और (आख़िर) तुम लोगों का ठिकाना जहन्नुम है और (उस वक्त तुम्हारा कोई भी मददगार न होगा) |
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