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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3354 | 29 | 14 | ولقد أرسلنا نوحا إلى قومه فلبث فيهم ألف سنة إلا خمسين عاما فأخذهم الطوفان وهم ظالمون |
| | | हमने नूह को उसकी क़ौम की ओर भेजा। और वह पचास साल कम एक हजार वर्ष उनके बीच रहा। अन्ततः उनको तूफ़ान ने इस दशा में आ पकड़ा कि वे अत्याचारी था |
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3355 | 29 | 15 | فأنجيناه وأصحاب السفينة وجعلناها آية للعالمين |
| | | फिर उसको और नौकावालों को हमने बचा लिया और उसे सारे संसार के लिए एक निशानी बना दिया |
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3356 | 29 | 16 | وإبراهيم إذ قال لقومه اعبدوا الله واتقوه ذلكم خير لكم إن كنتم تعلمون |
| | | और इबराहीम को भी भेजा, जबकि उसने अपनी क़ौम के लोगों से कहा, "अल्लाह की बन्दगी करो और उसका डर रखो। यह तुम्हारे लिए अच्छा है, यदि तुम जानो |
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3357 | 29 | 17 | إنما تعبدون من دون الله أوثانا وتخلقون إفكا إن الذين تعبدون من دون الله لا يملكون لكم رزقا فابتغوا عند الله الرزق واعبدوه واشكروا له إليه ترجعون |
| | | तुम तो अल्लाह से हटकर बस मूर्तियों को पूज रहे हो और झूठ घड़ रहे हो। तुम अल्लाह से हटकर जिनको पूजते हो वे तुम्हारे लिए रोज़ी का भी अधिकार नहीं रखते। अतः तुम अल्लाह ही के यहाँ रोज़ी तलाश करो और उसी की बन्दगी करो और उसके आभारी बनो। तुम्हें उसी की ओर लौटकर जाना है |
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3358 | 29 | 18 | وإن تكذبوا فقد كذب أمم من قبلكم وما على الرسول إلا البلاغ المبين |
| | | और यदि तुम झुठलाते हो तो तुमसे पहले कितने ही समुदाय झुठला चुके है। रसूल पर तो बस केवल स्पष्ट रूप से (सत्य संदेश) पहुँचा देने की ज़िम्मेदारी है।" |
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3359 | 29 | 19 | أولم يروا كيف يبدئ الله الخلق ثم يعيده إن ذلك على الله يسير |
| | | क्या उन्होंने देखा नहीं कि अल्लाह किस प्रकार पैदाइश का आरम्भ करता है और फिर उसकी पुनरावृत्ति करता है? निस्संदेह यह अल्लाह के लिए अत्यन्त सरल है |
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3360 | 29 | 20 | قل سيروا في الأرض فانظروا كيف بدأ الخلق ثم الله ينشئ النشأة الآخرة إن الله على كل شيء قدير |
| | | कहो कि, "धरती में चलो-फिरो और देखो कि उसने किस प्रकार पैदाइश का आरम्भ किया। फिर अल्लाह पश्चात्वर्ती उठान उठाएगा। निश्चय ही अल्लाह को हर चीज़ की सामर्थ्य प्राप्त है |
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3361 | 29 | 21 | يعذب من يشاء ويرحم من يشاء وإليه تقلبون |
| | | वह जिसे चाहे यातना दे और जिसपर चाहे दया करे। और उसी की ओर तुम्हें पलटकर जाना है।" |
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3362 | 29 | 22 | وما أنتم بمعجزين في الأرض ولا في السماء وما لكم من دون الله من ولي ولا نصير |
| | | तुम न तो धरती में क़ाबू से बाहर निकल सकते हो और न आकाश में। और अल्लाह से हटकर न तो तुम्हारा कोई मित्र है और न सहायक |
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3363 | 29 | 23 | والذين كفروا بآيات الله ولقائه أولئك يئسوا من رحمتي وأولئك لهم عذاب أليم |
| | | और जिन लोगों ने अल्लाह की आयतों और उससे मिलने का इनकार किया, वही लोग है जो मेरी दयालुता से निराश हुए और वही है जिनके लिए दुखद यातना है। - |
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