بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
3342292أحسب الناس أن يتركوا أن يقولوا آمنا وهم لا يفتنون
क्या लोगों ने ये समझ लिया है कि (सिर्फ) इतना कह देने से कि हम ईमान लाए छोड़ दिए जाएँगे और उनका इम्तेहान न लिया जाएगा
3343293ولقد فتنا الذين من قبلهم فليعلمن الله الذين صدقوا وليعلمن الكاذبين
और हमने तो उन लोगों का भी इम्तिहान लिया जो उनसे पहले गुज़र गए ग़रज़ ख़ुदा उन लोगों को जो सच्चे (दिल से ईमान लाए) हैं यक़ीनन अलहाएदा देखेगा और झूठों को भी (अलहाएदा) ज़रुर देखेगा
3344294أم حسب الذين يعملون السيئات أن يسبقونا ساء ما يحكمون
क्या जो लोग बुरे बुरे काम करते हैं उन्होंने ये समझ लिया है कि वह हमसे (बचकर) निकल जाएँगे (अगर ऐसा है तो) ये लोग क्या ही बुरे हुक्म लगाते हैं
3345295من كان يرجو لقاء الله فإن أجل الله لآت وهو السميع العليم
जो शख्स ख़ुदा से मिलने (क़यामत के आने) की उम्मीद रखता है तो (समझ रखे कि) ख़ुदा की (मुक़र्रर की हुई) मीयाद ज़रुर आने वाली है और वह (सबकी) सुनता (और) जानता है
3346296ومن جاهد فإنما يجاهد لنفسه إن الله لغني عن العالمين
और जो शख्स (इबादत में) कोशिश करता है तो बस अपने ही वास्ते कोशिश करता है (क्योंकि) इसमें तो शक ही नहीं कि ख़ुदा सारे जहाँन (की इबादत) से बेनियाज़ है
3347297والذين آمنوا وعملوا الصالحات لنكفرن عنهم سيئاتهم ولنجزينهم أحسن الذي كانوا يعملون
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए हम यक़ीनन उनके गुनाहों की तरफ से कफ्फारा क़रार देगें और ये (दुनिया में) जो आमाल करते थे हम उनके आमाल की उन्हें अच्छी से अच्छी जज़ा अता करेंगे
3348298ووصينا الإنسان بوالديه حسنا وإن جاهداك لتشرك بي ما ليس لك به علم فلا تطعهما إلي مرجعكم فأنبئكم بما كنتم تعملون
और हमने इन्सान को अपने माँ बाप से अच्छा बरताव करने का हुक्म दिया है और (ये भी कि) अगर तुझे तेरे माँ बाप इस बात पर मजबूर करें कि ऐसी चीज़ को मेरा शरीक बना जिन (के शरीक होने) का मुझे इल्म तक नहीं तो उनका कहना न मानना तुम सबको (आख़िर एक दिन) मेरी तरफ लौट कर आना है मै जो कुछ तुम लोग (दुनिया में) करते थे बता दूँगा
3349299والذين آمنوا وعملوا الصالحات لندخلنهم في الصالحين
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे अच्छे काम किए हम उन्हें (क़यामत के दिन) ज़रुर नेको कारों में दाख़िल करेंगे
33502910ومن الناس من يقول آمنا بالله فإذا أوذي في الله جعل فتنة الناس كعذاب الله ولئن جاء نصر من ربك ليقولن إنا كنا معكم أوليس الله بأعلم بما في صدور العالمين
और कुछ लोग ऐसे भी हैं जो (ज़बान से तो) कह देते हैं कि हम ख़ुदा पर ईमान लाए फिर जब उनको ख़ुदा के बारे में कुछ तकलीफ़ पहुँची तो वह लोगों की तकलीफ़ देही को अज़ाब के बराबर ठहराते हैं और (ऐ रसूल) अगर तुम्हारे पास तुम्हारे परवरदिगार की मदद आ पहुँची और तुम्हें फतेह हुई तो यही लोग कहने लगते हैं कि हम भी तो तुम्हारे साथ ही साथ थे भला जो कुछ सारे जहाँन के दिलों में है क्या ख़ुदा बख़ूबी वाक़िफ नहीं (ज़रुर है)
33512911وليعلمن الله الذين آمنوا وليعلمن المنافقين
और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया ख़ुदा उनको यक़ीनन जानता है और मुनाफेक़ीन को भी ज़रुर जानता है


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