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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3334 | 28 | 82 | وأصبح الذين تمنوا مكانه بالأمس يقولون ويكأن الله يبسط الرزق لمن يشاء من عباده ويقدر لولا أن من الله علينا لخسف بنا ويكأنه لا يفلح الكافرون |
| | | अब वही लोग, जो कल उसके पद की कामना कर रहे थे, कहने लगें, "अफ़सोस हम भूल गए थे कि अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा करता है और जिसे चाहता है नपी-तुली देता है। यदि अल्लाह ने हमपर उपकार न किया होता तो हमें भी धँसा देता। अफ़सोस हम भूल गए थे कि इनकार करनेवाले सफल नहीं हुआ करते।" |
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3335 | 28 | 83 | تلك الدار الآخرة نجعلها للذين لا يريدون علوا في الأرض ولا فسادا والعاقبة للمتقين |
| | | आख़िरत का घर हम उन लोगों के लिए ख़ास कर देंगे जो न धरती में अपनी बड़ाई चाहते है और न बिगाड़। परिणाम तो अन्ततः डर रखनेवालों के पक्ष में है |
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3336 | 28 | 84 | من جاء بالحسنة فله خير منها ومن جاء بالسيئة فلا يجزى الذين عملوا السيئات إلا ما كانوا يعملون |
| | | जो कोई अच्छा आचारण लेकर आया उसे उससे उत्तम प्राप्त होगा, और जो बुरा आचरण लेकर आया तो बुराइयाँ करनेवालों को तो वस वही मिलेगा जो वे करते थे |
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3337 | 28 | 85 | إن الذي فرض عليك القرآن لرادك إلى معاد قل ربي أعلم من جاء بالهدى ومن هو في ضلال مبين |
| | | जिसने इस क़ुरआन की ज़िम्मेदारी तुमपर डाली है, वह तुम्हें उसके (अच्छे) अंजाम तक ज़रूर पहुँचाएगा। कहो, "मेरा रब उसे भली-भाँति जानता है जो मार्गदर्शन लेकर आया, और उसे भी जो खुली गुमराही में पड़ा है।" |
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3338 | 28 | 86 | وما كنت ترجو أن يلقى إليك الكتاب إلا رحمة من ربك فلا تكونن ظهيرا للكافرين |
| | | तुम तो इसकी आशा नहीं रखते थे कि तुम्हारी ओर किताब उतारी जाएगी। इसकी संभावना तो केवल तुम्हारे रब की दयालुता के कारण हुई। अतः तुम इनकार करनेवालों के पृष्ठपोषक न बनो |
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3339 | 28 | 87 | ولا يصدنك عن آيات الله بعد إذ أنزلت إليك وادع إلى ربك ولا تكونن من المشركين |
| | | और वे तुम्हें अल्लाह की आयतों से रोक न पाएँ, इसके पश्चात कि वे तुमपर अवतरित हो चुकी है। और अपने रब की ओर बुलाओ और बहुदेववादियों में कदापि सम्मिलित न होना |
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3340 | 28 | 88 | ولا تدع مع الله إلها آخر لا إله إلا هو كل شيء هالك إلا وجهه له الحكم وإليه ترجعون |
| | | और अल्लाह के साथ किसी और इष्ट-पूज्य को न पुकारना। उसके सिवा कोई इष्ट-पूज्य नहीं। हर चीज़ नाशवान है सिवास उसके स्वरूप के। फ़ैसला और आदेश का अधिकार उसी को प्राप्त है और उसी की ओर तुम सबको लौटकर जाना है |
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3341 | 29 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم الم |
| | | अलिफ़॰ लाम॰ मीम॰ |
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3342 | 29 | 2 | أحسب الناس أن يتركوا أن يقولوا آمنا وهم لا يفتنون |
| | | क्या लोगों ने यह समझ रखा है कि वे इतना कह देने मात्र से छोड़ दिए जाएँगे कि "हम ईमान लाए" और उनकी परीक्षा न की जाएगी? |
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3343 | 29 | 3 | ولقد فتنا الذين من قبلهم فليعلمن الله الذين صدقوا وليعلمن الكاذبين |
| | | हालाँकि हम उन लोगों की परीक्षा कर चुके है जो इनसे पहले गुज़र चुके है। अल्लाह तो उन लोगों को मालूम करके रहेगा, जो सच्चे है। और वह झूठों को भी मालूम करके रहेगा |
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