بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
33292877وابتغ فيما آتاك الله الدار الآخرة ولا تنس نصيبك من الدنيا وأحسن كما أحسن الله إليك ولا تبغ الفساد في الأرض إن الله لا يحب المفسدين
जो कुछ अल्लाह ने तुझे दिया है, उसमें आख़िरत के घर का निर्माण कर और दुनिया में से अपना हिस्सा न भूल, और भलाई कर, जैसा कि अल्लाह ने तेरे साथ भलाई की है, और धरती का बिगाड़ मत चाह। निश्चय ही अल्लाह बिगाड़ पैदा करनेवालों को पसन्द नहीं करता।"
33302878قال إنما أوتيته على علم عندي أولم يعلم أن الله قد أهلك من قبله من القرون من هو أشد منه قوة وأكثر جمعا ولا يسأل عن ذنوبهم المجرمون
उसने कहा, "मुझे तो यह मेरे अपने व्यक्तिगत ज्ञान के कारण मिला है।" क्या उसने यह नहीं जाना कि अल्लाह उससे पहले कितनी ही नस्लों को विनष्ट कर चुका है जो शक्ति में उससे बढ़-चढ़कर और बाहुल्य में उससे अधिक थीं? अपराधियों से तो (उनकी तबाही के समय) उनके गुनाहों के विषय में पूछा भी नहीं जाता
33312879فخرج على قومه في زينته قال الذين يريدون الحياة الدنيا يا ليت لنا مثل ما أوتي قارون إنه لذو حظ عظيم
फिर वह अपनी क़ौम के सामने अपने ठाठ-बाट में निकला। जो लोग सांसारिक जीवन के चाहनेवाले थे, उन्होंने कहा, "क्या ही अच्छा होता जैसा कुछ क़ारून को मिला है, हमें भी मिला होता! वह तो बड़ा ही भाग्यशाली है।"
33322880وقال الذين أوتوا العلم ويلكم ثواب الله خير لمن آمن وعمل صالحا ولا يلقاها إلا الصابرون
किन्तु जिनको ज्ञान प्राप्त था, उन्होंने कहा, "अफ़सोस तुमपर! अल्लाह का प्रतिदान उत्तम है, उस व्यक्ति के लिए जो ईमान लाए और अच्छा कर्म करे, और यह बात उन्हीम के दिलों में पड़ती है जो धैर्यवान होते है।"
33332881فخسفنا به وبداره الأرض فما كان له من فئة ينصرونه من دون الله وما كان من المنتصرين
अन्ततः हमने उसको और उसके घर को धरती में धँसा दिया। और कोई ऐसा गिरोह न हुआ जो अल्लाह के मुक़ाबले में उसकी सहायता करता, और न वह स्वयं अपना बचाव कर सका
33342882وأصبح الذين تمنوا مكانه بالأمس يقولون ويكأن الله يبسط الرزق لمن يشاء من عباده ويقدر لولا أن من الله علينا لخسف بنا ويكأنه لا يفلح الكافرون
अब वही लोग, जो कल उसके पद की कामना कर रहे थे, कहने लगें, "अफ़सोस हम भूल गए थे कि अल्लाह अपने बन्दों में से जिसके लिए चाहता है रोज़ी कुशादा करता है और जिसे चाहता है नपी-तुली देता है। यदि अल्लाह ने हमपर उपकार न किया होता तो हमें भी धँसा देता। अफ़सोस हम भूल गए थे कि इनकार करनेवाले सफल नहीं हुआ करते।"
33352883تلك الدار الآخرة نجعلها للذين لا يريدون علوا في الأرض ولا فسادا والعاقبة للمتقين
आख़िरत का घर हम उन लोगों के लिए ख़ास कर देंगे जो न धरती में अपनी बड़ाई चाहते है और न बिगाड़। परिणाम तो अन्ततः डर रखनेवालों के पक्ष में है
33362884من جاء بالحسنة فله خير منها ومن جاء بالسيئة فلا يجزى الذين عملوا السيئات إلا ما كانوا يعملون
जो कोई अच्छा आचारण लेकर आया उसे उससे उत्तम प्राप्त होगा, और जो बुरा आचरण लेकर आया तो बुराइयाँ करनेवालों को तो वस वही मिलेगा जो वे करते थे
33372885إن الذي فرض عليك القرآن لرادك إلى معاد قل ربي أعلم من جاء بالهدى ومن هو في ضلال مبين
जिसने इस क़ुरआन की ज़िम्मेदारी तुमपर डाली है, वह तुम्हें उसके (अच्छे) अंजाम तक ज़रूर पहुँचाएगा। कहो, "मेरा रब उसे भली-भाँति जानता है जो मार्गदर्शन लेकर आया, और उसे भी जो खुली गुमराही में पड़ा है।"
33382886وما كنت ترجو أن يلقى إليك الكتاب إلا رحمة من ربك فلا تكونن ظهيرا للكافرين
तुम तो इसकी आशा नहीं रखते थे कि तुम्हारी ओर किताब उतारी जाएगी। इसकी संभावना तो केवल तुम्हारे रब की दयालुता के कारण हुई। अतः तुम इनकार करनेवालों के पृष्ठपोषक न बनो


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