بسم الله الرحمن الرحيم

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33212869وربك يعلم ما تكن صدورهم وما يعلنون
और (ऐ रसूल) ये लोग जो बातें अपने दिलों में छिपाते हैं और जो कुछ ज़ाहिर करते हैं तुम्हारा परवरदिगार खूब जानता है
33222870وهو الله لا إله إلا هو له الحمد في الأولى والآخرة وله الحكم وإليه ترجعون
और वही ख़ुदा है उसके सिवा कोई क़ाबिले परसतिश नहीं दुनिया और आख़िरत में उस की तारीफ़ है और उसकी हुकूमत है और तुम लोग (मरने के बाद) उसकी तरफ लौटाए जाओगे
33232871قل أرأيتم إن جعل الله عليكم الليل سرمدا إلى يوم القيامة من إله غير الله يأتيكم بضياء أفلا تسمعون
(ऐ रसूल इन लोगों से) कहो कि भला तुमने देखा कि अगर ख़ुदा हमेशा के लिए क़यामत तक तुम्हारे सरों पर रात को छाए रहता तो अल्लाह के सिवा कौन ख़ुदा है जो तुम्हारे पास रौशनी ले आता तो क्या तुम सुनते नहीं हो
33242872قل أرأيتم إن جعل الله عليكم النهار سرمدا إلى يوم القيامة من إله غير الله يأتيكم بليل تسكنون فيه أفلا تبصرون
(ऐ रसूल उन से) कह दो कि भला तुमने देखा कि अगर ख़ुदा क़यामत तक बराबर तुम्हारे सरों पर दिन किए रहता तो अल्लाह के सिवा कौन ख़ुदा है जो तुम्हारे लिए रात को ले आता कि तुम लोग इसमें रात को आराम करो तो क्या तुम लोग (इतना भी) नहीं देखते
33252873ومن رحمته جعل لكم الليل والنهار لتسكنوا فيه ولتبتغوا من فضله ولعلكم تشكرون
और उसने अपनी मेहरबानी से तुम्हारे वास्ते रात और दिन को बनाया ताकि तुम रात में आराम करो और दिन में उसके फज़ल व करम (रोज़ी) की तलाश करो और ताकि तुम लोग शुक्र करो
33262874ويوم يناديهم فيقول أين شركائي الذين كنتم تزعمون
और (उस दिन को याद करो) जिस दिन वह उन्हें पुकार कर पूछेगा जिनको तुम लोग मेरा शरीक ख्याल करते थे वह (आज) कहाँ हैं
33272875ونزعنا من كل أمة شهيدا فقلنا هاتوا برهانكم فعلموا أن الحق لله وضل عنهم ما كانوا يفترون
और हम हर एक उम्मत से एक गवाह (पैग़म्बर) निकाले (सामने बुलाएँगे) फिर (उस दिन मुशरेकीन से) कहेंगे कि अपनी (बराअत की) दलील पेश करो तब उन्हें मालूम हो जाएगा कि हक़ ख़ुदा ही की तरफ़ है और जो इफ़तेरा परवाज़ियाँ ये लोग किया करते थे सब उनसे ग़ायब हो जाएँगी
33282876إن قارون كان من قوم موسى فبغى عليهم وآتيناه من الكنوز ما إن مفاتحه لتنوء بالعصبة أولي القوة إذ قال له قومه لا تفرح إن الله لا يحب الفرحين
(नाशुक्री का एक क़िस्सा सुनो) मूसा की क़ौम से एक शख्स कारुन (नामी) था तो उसने उन पर सरकशी शुरु की और हमने उसको इस क़दर ख़ज़ाने अता किए थे कि उनकी कुन्जियाँ एक सकतदार जमाअत (की जामअत) को उठाना दूभर हो जाता था जब (एक बार) उसकी क़ौम ने उससे कहा कि (अपनी दौलत पर) इतरा मत क्योंकि ख़ुदा इतराने वालों को दोस्त नहीं रखता
33292877وابتغ فيما آتاك الله الدار الآخرة ولا تنس نصيبك من الدنيا وأحسن كما أحسن الله إليك ولا تبغ الفساد في الأرض إن الله لا يحب المفسدين
और जो कुछ ख़ुदा ने तूझे दे रखा है उसमें आख़िरत के घर की भी जुस्तजू कर और दुनिया से जिस क़दर तेरा हिस्सा है मत भूल जा और जिस तरह ख़ुदा ने तेरे साथ एहसान किया है तू भी औरों के साथ एहसान कर और रुए ज़मीन में फसाद का ख्वाहा न हो-इसमें शक नहीं कि ख़ुदा फ़साद करने वालों को दोस्त नहीं रखता
33302878قال إنما أوتيته على علم عندي أولم يعلم أن الله قد أهلك من قبله من القرون من هو أشد منه قوة وأكثر جمعا ولا يسأل عن ذنوبهم المجرمون
तो क़ारुन कहने लगा कि ये (माल व दौलत) तो मुझे अपने इल्म (कीमिया) की वजह से हासिल होता है क्या क़ारुन ने ये भी न ख्याल किया कि अल्लाह उसके पहले उन लोगों को हलाक़ कर चुका है जो उससे क़ूवत और हैसियत में कहीं बढ़ बढ़ के थे और गुनाहगारों से (उनकी सज़ा के वक्त) उनके गुनाहों की पूछताछ नहीं हुआ करती


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