نتائج البحث: 6236
|
ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3309 | 28 | 57 | وقالوا إن نتبع الهدى معك نتخطف من أرضنا أولم نمكن لهم حرما آمنا يجبى إليه ثمرات كل شيء رزقا من لدنا ولكن أكثرهم لا يعلمون |
| | | (ऐ रसूल) कुफ्फ़ार (मक्का) तुमसे कहते हैं कि अगर हम तुम्हारे साथ दीन हक़ की पैरवी करें तो हम अपने मुल्क़ से उचक लिए जाएँ (ये क्या बकते है) क्या हमने उन्हें हरम (मक्का) में जहाँ हर तरह का अमन है जगह नहीं दी वहाँ हर किस्म के फल रोज़ी के वास्ते हमारी बारगाह से खिंचे चले जाते हैं मगर बहुतेरे लोग नहीं जाते |
|
3310 | 28 | 58 | وكم أهلكنا من قرية بطرت معيشتها فتلك مساكنهم لم تسكن من بعدهم إلا قليلا وكنا نحن الوارثين |
| | | और हमने तो बहुतेरी बस्तियाँ बरबाद कर दी जो अपनी मइशत (रोजी) में बहुत इतराहट से (ज़िन्दगी) बसर किया करती थीं-(तो देखो) ये उन ही के (उजड़े हुए) घर हैं जो उनके बाद फिर आबाद नहीं हुए मगर बहुत कम और (आख़िर) हम ही उनके (माल व असबाब के) वारिस हुए |
|
3311 | 28 | 59 | وما كان ربك مهلك القرى حتى يبعث في أمها رسولا يتلو عليهم آياتنا وما كنا مهلكي القرى إلا وأهلها ظالمون |
| | | और तुम्हारा परवरदिगार जब तक उन गाँव के सदर मक़ाम पर अपना पैग़म्बर न भेज ले और वह उनके सामने हमारी आयतें न पढ़ दे (उस वक्त तक) बस्तियों को बरबाद नहीं कर दिया करता-और हम तो बस्तियों को बरबाद करते ही नहीं जब तक वहाँ के लोग ज़ालिम न हों |
|
3312 | 28 | 60 | وما أوتيتم من شيء فمتاع الحياة الدنيا وزينتها وما عند الله خير وأبقى أفلا تعقلون |
| | | और तुम लोगों को जो कुछ अता हुआ है तो दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी का फ़ायदा और उसकी आराइश है और जो कुछ ख़ुदा के पास है वह उससे कही बेहतर और पाएदार है तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते |
|
3313 | 28 | 61 | أفمن وعدناه وعدا حسنا فهو لاقيه كمن متعناه متاع الحياة الدنيا ثم هو يوم القيامة من المحضرين |
| | | तो क्या वह शख्स जिससे हमने (बेहश्त का) अच्छा वायदा किया है और वह उसे पाकर रहेगा उस शख्स के बराबर हो सकता है जिसे हमने दुनियावी ज़िन्दगी के (चन्द रोज़ा) फायदे अता किए हैं और फिर क़यामत के दिन (जवाब देही के वास्ते हमारे सामने) हाज़िर किए जाएँगें |
|
3314 | 28 | 62 | ويوم يناديهم فيقول أين شركائي الذين كنتم تزعمون |
| | | और जिस दिन ख़ुदा उन कुफ्फ़ार को पुकारेगा और पूछेगा कि जिनको तुम हमारा शरीक ख्याल करते थे वह (आज) कहाँ हैं (ग़रज़ वह शरीक भी बुलाँए जाएँगे) |
|
3315 | 28 | 63 | قال الذين حق عليهم القول ربنا هؤلاء الذين أغوينا أغويناهم كما غوينا تبرأنا إليك ما كانوا إيانا يعبدون |
| | | वह लोग जो हमारे अज़ाब के मुस्ताजिब हो चुके हैं कह देगे कि परवरदिगार यही वह लोग हैं जिन्हें हमने गुमराह किया था जिस तरह हम ख़़ुद गुमराह हुए उसी तरह हमने इनको गुमराह किया-अब हम तेरी बारगाह में (उनसे) दस्तबरदार होते है-ये लोग हमारी इबादत नहीं करते थे |
|
3316 | 28 | 64 | وقيل ادعوا شركاءكم فدعوهم فلم يستجيبوا لهم ورأوا العذاب لو أنهم كانوا يهتدون |
| | | और कहा जाएगा कि भला अपने उन शरीको को (जिन्हें तुम ख़ुदा समझते थे) बुलाओ तो ग़रज़ वह लोग उन्हें बुलाएँगे तो वह उन्हें जवाब तक नही देगें और (अपनी ऑंखों से) अज़ाब को देखेंगें काश ये लोग (दुनिया में) राह पर आए होते |
|
3317 | 28 | 65 | ويوم يناديهم فيقول ماذا أجبتم المرسلين |
| | | और (वह दिन याद करो) जिस दिन ख़ुदा लोगों को पुकार कर पूछेगा कि तुम लोगों ने पैग़म्बरों को (उनके समझाने पर) क्या जवाब दिया |
|
3318 | 28 | 66 | فعميت عليهم الأنباء يومئذ فهم لا يتساءلون |
| | | तब उस दिन उन्हें बातें न सूझ पडेग़ी (और) फिर बाहम एक दूसरे से पूछ भी न सकेगें |
|