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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3283 | 28 | 31 | وأن ألق عصاك فلما رآها تهتز كأنها جان ولى مدبرا ولم يعقب يا موسى أقبل ولا تخف إنك من الآمنين |
| | | और यह (भी आवाज़ आयी) कि तुम आपनी छड़ी (ज़मीन पर) डाल दो फिर जब (डाल दिया तो) देखा कि वह इस तरह बल खा रही है कि गोया वह (ज़िन्दा) अजदहा है तो पीठ फेरके भागे और पीछे मुड़कर भी न देखा (तो हमने फरमाया) ऐ मूसा आगे आओ और डरो नहीं तुम पर हर तरह अमन व अमान में हो |
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3284 | 28 | 32 | اسلك يدك في جيبك تخرج بيضاء من غير سوء واضمم إليك جناحك من الرهب فذانك برهانان من ربك إلى فرعون وملئه إنهم كانوا قوما فاسقين |
| | | (अच्छा और लो) अपना हाथ गरेबान में डालो (और निकाल लो) तो सफेद बुर्राक़ होकर बेऐब निकल आया और ख़ौफ की (वजह) से अपने बाजू अपनी तरफ समेट लो (ताकि ख़ौफ जाता रहे) ग़रज़ ये दोनों (असा व यदे बैज़ा) तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (तुम्हारी नुबूवत की) दो दलीलें फिरऔन और उसके दरबार के सरदारों के वास्ते हैं और इसमें शक नहीं कि वह बदकार लोग थे |
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3285 | 28 | 33 | قال رب إني قتلت منهم نفسا فأخاف أن يقتلون |
| | | मूसा ने अर्ज़ की परवरदिगार मैने उनमें से एक शख्स को मार डाला था तो मै डरता हूँ कहीं (उसके बदले) मुझे न मार डालें |
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3286 | 28 | 34 | وأخي هارون هو أفصح مني لسانا فأرسله معي ردءا يصدقني إني أخاف أن يكذبون |
| | | और मेरा भाई हारुन वह मुझसे (ज़बान में ज्यादा) फ़सीह है तो तू उसे मेरे साथ मेरा मददगार बनाकर भेज कि वह मेरी तसदीक करे क्योंकि यक़ीनन मै इस बात से डरता हूँ कि मुझे वह लोग झुठला देंगे (तो उनके जवाब के लिए गोयाइ की ज़रुरत है) |
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3287 | 28 | 35 | قال سنشد عضدك بأخيك ونجعل لكما سلطانا فلا يصلون إليكما بآياتنا أنتما ومن اتبعكما الغالبون |
| | | फ़रमाया अच्छा हम अनक़रीब तुम्हारे भाई की वजह से तुम्हारे बाज़ू क़वी कर देगें और तुम दोनों को ऐसा ग़लबा अता करेंगें कि फिरऔनी लोग तुम दोनों तक हमारे मौजिज़े की वजह से पहुँच भी न सकेंगे लो जाओ तुम दोनो और तुम्हारे पैरवी करने वाले गालिब रहेंगे |
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3288 | 28 | 36 | فلما جاءهم موسى بآياتنا بينات قالوا ما هذا إلا سحر مفترى وما سمعنا بهذا في آبائنا الأولين |
| | | ग़रज़ जब मूसा हमारे वाजेए व रौशन मौजिज़े लेकर उनके पास आए तो वह लोग कहने लगे कि ये तो बस अपने दिल का गढ़ा हुआ जादू है और हमने तो अपने अगले बाप दादाओं (के ज़माने) में ऐसी बात सुनी भी नहीें |
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3289 | 28 | 37 | وقال موسى ربي أعلم بمن جاء بالهدى من عنده ومن تكون له عاقبة الدار إنه لا يفلح الظالمون |
| | | और मूसा ने कहा मेरा परवरदिगार उस शख्स से ख़ूब वाक़िफ़ है जो उसकी बारगाह से हिदायत लेकर आया है और उस शख्स से भी जिसके लिए आख़िरत का घर है इसमें तो शक ही नहीं कि ज़ालिम लोग कामयाब नहीं होते |
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3290 | 28 | 38 | وقال فرعون يا أيها الملأ ما علمت لكم من إله غيري فأوقد لي يا هامان على الطين فاجعل لي صرحا لعلي أطلع إلى إله موسى وإني لأظنه من الكاذبين |
| | | और (ये सुनकर) फिरऔन ने कहा ऐ मेरे दरबार के सरदारों मुझ को तो अपने सिवा तुम्हारा कोई परवरदिगार मालूम नही होता (और मूसा दूसरे को ख़ुदा बताता है) तो ऐ हामान (वज़ीर फिरऔन) तुम मेरे वास्ते मिट्टी (की ईटों) का पजावा सुलगाओ फिर मेरे वास्ते एक पुख्ता महल तैयार कराओ ताकि मै (उस पर चढ़ कर) मूसा के ख़ुदा को देंखू और मै तो यक़ीनन मूसा को झूठा समझता हूँ |
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3291 | 28 | 39 | واستكبر هو وجنوده في الأرض بغير الحق وظنوا أنهم إلينا لا يرجعون |
| | | और फिरऔन और उसके लश्कर ने रुए ज़मीन में नाहक़ सर उठाया था और उन लोगों ने समझ लिया था कि हमारी बारगाह मे वह कभी पलट कर नही आएँगे |
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3292 | 28 | 40 | فأخذناه وجنوده فنبذناهم في اليم فانظر كيف كان عاقبة الظالمين |
| | | तो हमने उसको और उसके लश्कर को ले डाला फिर उन सबको दरिया में डाल दिया तो (ऐ रसूल) ज़रा देखों तो कि ज़ालिमों का कैसा बुरा अन्जाम हुआ |
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