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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3254 | 28 | 2 | تلك آيات الكتاب المبين |
| | | (ऐ रसूल) ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें हैं |
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3255 | 28 | 3 | نتلو عليك من نبإ موسى وفرعون بالحق لقوم يؤمنون |
| | | (जिसमें) हम तुम्हारें सामने मूसा और फिरऔन का वाक़िया ईमानदार लोगों के नफ़े के वास्ते ठीक ठीक बयान करते हैं |
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3256 | 28 | 4 | إن فرعون علا في الأرض وجعل أهلها شيعا يستضعف طائفة منهم يذبح أبناءهم ويستحيي نساءهم إنه كان من المفسدين |
| | | बेशक फिरऔन ने (मिस्र की) सरज़मीन में बहुत सर उठाया था और उसने वहाँ के रहने वालों को कई गिरोह कर दिया था उनमें से एक गिरोह (बनी इसराइल) को आजिज़ कर रखा थ कि उनके बेटों को ज़बाह करवा देता था और उनकी औरतों (बेटियों) को ज़िन्दा छोड़ देता था बेशक वह भी मुफ़सिदों में था |
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3257 | 28 | 5 | ونريد أن نمن على الذين استضعفوا في الأرض ونجعلهم أئمة ونجعلهم الوارثين |
| | | और हम तो ये चाहते हैं कि जो लोग रुए ज़मीन में कमज़ोर कर दिए गए हैं उनपर एहसान करे और उन्हींको (लोगों का) पेशवा बनाएँ और उन्हीं को इस (सरज़मीन) का मालिक बनाएँ |
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3258 | 28 | 6 | ونمكن لهم في الأرض ونري فرعون وهامان وجنودهما منهم ما كانوا يحذرون |
| | | और उन्हीं को रुए ज़मीन पर पूरी क़ुदरत अता करे और फिरऔन और हामान और उन दोनों के लश्करो को उन्हीं कमज़ोरों के हाथ से वह चीज़ें दिखायें जिससे ये लोग डरते थे |
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3259 | 28 | 7 | وأوحينا إلى أم موسى أن أرضعيه فإذا خفت عليه فألقيه في اليم ولا تخافي ولا تحزني إنا رادوه إليك وجاعلوه من المرسلين |
| | | और हमने मूसा की माँ के पास ये वही भेजी कि तुम उसको दूध पिला लो फिर जब उसकी निस्बत तुमको कोई ख़ौफ हो तो इसको (एक सन्दूक़ में रखकर) दरिया में डाल दो और (उस पर) तुम कुछ न डरना और न कुढ़ना (तुम इतमेनान रखो) हम उसको फिर तुम्हारे पास पहुँचा देगें और उसको (अपना) रसूल बनाएँगें |
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3260 | 28 | 8 | فالتقطه آل فرعون ليكون لهم عدوا وحزنا إن فرعون وهامان وجنودهما كانوا خاطئين |
| | | (ग़रज़ मूसा की माँ ने दरिया में डाल दिया) वह सन्दूक़ बहते बहते फिरऔन के महल के पास आ लगा तो फिरऔन के लोगों ने उसे उठा लिया ताकि (एक दिन यही) उनका दुश्मन और उनके राज का बायस बने इसमें शक नहीं कि फिरऔन और हामान उन दोनों के लश्कर ग़लती पर थे |
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3261 | 28 | 9 | وقالت امرأت فرعون قرت عين لي ولك لا تقتلوه عسى أن ينفعنا أو نتخذه ولدا وهم لا يشعرون |
| | | और (जब मूसा महल में लाए गए तो) फिरऔन की बीबी (आसिया अपने शौहर से) बोली कि ये मेरी और तुम्हारी (दोनों की) ऑंखों की ठन्डक है तो तुम लोग इसको क़त्ल न करो क्या अजब है कि ये हमको नफ़ा पहुँचाए या हम उसे ले पालक ही बना लें और उन्हें (उसी के हाथ से बर्बाद होने की) ख़बर न थी |
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3262 | 28 | 10 | وأصبح فؤاد أم موسى فارغا إن كادت لتبدي به لولا أن ربطنا على قلبها لتكون من المؤمنين |
| | | इधर तो ये हो रहा था और (उधर) मूसा की माँ का दिल ऐसा बेचैन हो गया कि अगर हम उसके दिल को मज़बूत कर देते तो क़रीब था कि मूसा का हाल ज़ाहिर कर देती (और हमने इसीलिए ढारस दी) ताकि वह (हमारे वायदे का) यक़ीन रखे |
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3263 | 28 | 11 | وقالت لأخته قصيه فبصرت به عن جنب وهم لا يشعرون |
| | | और मूसा की माँ ने (दरिया में डालते वक्त) उनकी बहन (कुलसूम) से कहा कि तुम इसके पीछे पीछे (अलग) चली जाओ तो वह मूसा को दूर से देखती रही और उन लोगो को उसकी ख़बर भी न हुई |
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