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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3242 | 27 | 83 | ويوم نحشر من كل أمة فوجا ممن يكذب بآياتنا فهم يوزعون |
| | | और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह को जो हमारी आयतों को झुठलाया करते थे (ज़िन्दा करके) जमा करेंगे फिर उन की टोलियाँ अलहदा अलहदा करेंगे |
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3243 | 27 | 84 | حتى إذا جاءوا قال أكذبتم بآياتي ولم تحيطوا بها علما أماذا كنتم تعملون |
| | | यहाँ तक कि जब वह सब (ख़ुदा के सामने) आएँगें और ख़ुदा उनसे कहेगा क्या तुम ने हमारी आयतों को बगैर अच्छी तरह समझे बूझे झुठलाया-भला तुम क्या क्या करते थे और चूँकि ये लोग ज़ुल्म किया करते थे |
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3244 | 27 | 85 | ووقع القول عليهم بما ظلموا فهم لا ينطقون |
| | | इन पर (अज़ाब का) वायदा पूरा हो गया फिर ये लोग कुछ बोल भी तो न सकेंगें |
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3245 | 27 | 86 | ألم يروا أنا جعلنا الليل ليسكنوا فيه والنهار مبصرا إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | क्या इन लोगों ने ये भी न देखा कि हमने रात को इसलिए बनाया कि ये लोग इसमे चैन करें और दिन को रौशन (ताकि देखभाल करे) बेशक इसमें ईमान लाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
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3246 | 27 | 87 | ويوم ينفخ في الصور ففزع من في السماوات ومن في الأرض إلا من شاء الله وكل أتوه داخرين |
| | | और (उस दिन याद करो) जिस दिन सूर फूँका जाएगा तो जितने लोग आसमानों मे हैं और जितने लोग ज़मीन में हैं (ग़रज़ सब के सब) दहल जाएंगें मगर जिस शख्स को ख़ुदा चाहे (वो अलबत्ता मुतमइन रहेगा) और सब लोग उसकी बारगाह में ज़िल्लत व आजिज़ी की हालत में हाज़िर होगें |
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3247 | 27 | 88 | وترى الجبال تحسبها جامدة وهي تمر مر السحاب صنع الله الذي أتقن كل شيء إنه خبير بما تفعلون |
| | | और तुम पहाड़ों को देखकर उन्हें मज़बूर जमे हुए समझतें हो हालाकि ये (क़यामत के दिन) बादल की तरह उड़े उडे फ़िरेगें (ये भी) ख़ुदा की कारीगरी है कि जिसने हर चीज़ को ख़ूब मज़बूत बनाया है बेशक जो कुछ तुम लोग करते हो उससे वह ख़ूब वाक़िफ़ है |
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3248 | 27 | 89 | من جاء بالحسنة فله خير منها وهم من فزع يومئذ آمنون |
| | | जो शख्स नेक काम करेगा उसके लिए उसकी जज़ा उससे कहीं बेहतर है ओर ये लोग उस दिन ख़ौफ व ख़तरे से महफूज़ रहेंगे |
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3249 | 27 | 90 | ومن جاء بالسيئة فكبت وجوههم في النار هل تجزون إلا ما كنتم تعملون |
| | | और जो लोग बुरा काम करेंगे वह मुँह के बल जहन्नुम में झोक दिए जाएँगे (और उनसे कहा जाएगा कि) जो कुछ तुम (दुनिया में) करते थे बस उसी का जज़ा तुम्हें दी जाएगी |
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3250 | 27 | 91 | إنما أمرت أن أعبد رب هذه البلدة الذي حرمها وله كل شيء وأمرت أن أكون من المسلمين |
| | | (ऐ रसूल उनसे कह दो कि) मुझे तो बस यही हुक्म दिया गया है कि मै इस शहर (मक्का) के मालिक की इबादत करुँ जिसने उसे इज्ज़त व हुरमत दी है और हर चीज़ उसकी है और मुझे ये हुक्म दिया गया कि मै (उसके) फरमाबरदार बन्दों में से हूँ |
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3251 | 27 | 92 | وأن أتلو القرآن فمن اهتدى فإنما يهتدي لنفسه ومن ضل فقل إنما أنا من المنذرين |
| | | और ये कि मै क़ुरान पढ़ा करुँ फिर जो शख्स राह पर आया तो अपनी ज़ात के नफे क़े वास्ते राह पर आया और जो गुमराह हुआ तो तुम कह दो कि मै भी एक एक डराने वाला हूँ |
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