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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3236 | 27 | 77 | وإنه لهدى ورحمة للمؤمنين |
| | | और इसमें भी शक नहीं कि ये कुरान ईमानदारों के वास्ते अज़सरतापा हिदायत व रहमत है |
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3237 | 27 | 78 | إن ربك يقضي بينهم بحكمه وهو العزيز العليم |
| | | (ऐ रसूल) बेशक तुम्हारा परवरदिगार अपने हुक्म से उनके आपस (के झगड़ों) का फैसला कर देगा और वह (सब पर) ग़ालिब और वाक़िफकार है |
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3238 | 27 | 79 | فتوكل على الله إنك على الحق المبين |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम खुदा पर भरोसा रखो बेशक तुम यक़ीनी सरीही हक़ पर हो |
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3239 | 27 | 80 | إنك لا تسمع الموتى ولا تسمع الصم الدعاء إذا ولوا مدبرين |
| | | बेशक न तो तुम मुर्दों को (अपनी बात) सुना सकते हो और न बहरों को अपनी आवाज़ सुना सकते हो (ख़ासकर) जब वह पीठ फेर कर भाग ख़डें हो |
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3240 | 27 | 81 | وما أنت بهادي العمي عن ضلالتهم إن تسمع إلا من يؤمن بآياتنا فهم مسلمون |
| | | और न तुम अंधें को उनकी गुमराही से राह पर ला सकते हो तुम तो बस उन्हीं लोगों को (अपनी बात) सुना सकते हो जो हमारी आयतों पर ईमान रखते हैं |
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3241 | 27 | 82 | وإذا وقع القول عليهم أخرجنا لهم دابة من الأرض تكلمهم أن الناس كانوا بآياتنا لا يوقنون |
| | | फिर वही लोग तो मानने वाले भी हैं जब उन लोगों पर (क़यामत का) वायदा पूरा होगा तो हम उनके वास्ते ज़मीन से एक चलने वाला निकाल खड़ा करेंगे जो उनसे ये बाते करेंगा कि (फलॉ फला) लोग हमारी आयतो का यक़ीन नहीं रखते थे |
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3242 | 27 | 83 | ويوم نحشر من كل أمة فوجا ممن يكذب بآياتنا فهم يوزعون |
| | | और (उस दिन को याद करो) जिस दिन हम हर उम्मत से एक ऐसे गिरोह को जो हमारी आयतों को झुठलाया करते थे (ज़िन्दा करके) जमा करेंगे फिर उन की टोलियाँ अलहदा अलहदा करेंगे |
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3243 | 27 | 84 | حتى إذا جاءوا قال أكذبتم بآياتي ولم تحيطوا بها علما أماذا كنتم تعملون |
| | | यहाँ तक कि जब वह सब (ख़ुदा के सामने) आएँगें और ख़ुदा उनसे कहेगा क्या तुम ने हमारी आयतों को बगैर अच्छी तरह समझे बूझे झुठलाया-भला तुम क्या क्या करते थे और चूँकि ये लोग ज़ुल्म किया करते थे |
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3244 | 27 | 85 | ووقع القول عليهم بما ظلموا فهم لا ينطقون |
| | | इन पर (अज़ाब का) वायदा पूरा हो गया फिर ये लोग कुछ बोल भी तो न सकेंगें |
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3245 | 27 | 86 | ألم يروا أنا جعلنا الليل ليسكنوا فيه والنهار مبصرا إن في ذلك لآيات لقوم يؤمنون |
| | | क्या इन लोगों ने ये भी न देखा कि हमने रात को इसलिए बनाया कि ये लोग इसमे चैन करें और दिन को रौशन (ताकि देखभाल करे) बेशक इसमें ईमान लाने वालों के लिए (कुदरते ख़ुदा की) बहुत सी निशानियाँ हैं |
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