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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3232 | 27 | 73 | وإن ربك لذو فضل على الناس ولكن أكثرهم لا يشكرون |
| | | निश्चय ही तुम्हारा रब तो लोगों पर उदार अनुग्रह करनेवाला है, किन्तु उनमें से अधिकतर लोग कृतज्ञता नहीं दिखाते |
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3233 | 27 | 74 | وإن ربك ليعلم ما تكن صدورهم وما يعلنون |
| | | निश्चय ही तुम्हारा रह भली-भाँति जानता है, जो कुछ उनके सीने छिपाए हुए है और जो कुछ वे प्रकट करते है। |
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3234 | 27 | 75 | وما من غائبة في السماء والأرض إلا في كتاب مبين |
| | | आकाश और धरती में छिपी कोई भी चीज़ ऐसी नहीं जो एक स्पष्ट किताब में मौजूद न हो |
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3235 | 27 | 76 | إن هذا القرآن يقص على بني إسرائيل أكثر الذي هم فيه يختلفون |
| | | निस्संदेह यह क़ुरआन इसराईल की सन्तान को अधिकतर ऐसी बाते खोलकर सुनाता है जिनके विषय में उनसे मतभेद है |
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3236 | 27 | 77 | وإنه لهدى ورحمة للمؤمنين |
| | | और निस्संदह यह तो ईमानवालों के लिए मार्गदर्शन और दयालुता है |
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3237 | 27 | 78 | إن ربك يقضي بينهم بحكمه وهو العزيز العليم |
| | | निश्चय ही तुम्हारा रब उनके बीच अपने हुक्म से फ़ैसला कर देगा। वह अत्यन्त प्रभुत्वशाली, सर्वज्ञ है |
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3238 | 27 | 79 | فتوكل على الله إنك على الحق المبين |
| | | अतः अल्लाह पर भरोसा रखो। निश्चय ही तुम स्पष्ट सत्य पर हो |
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3239 | 27 | 80 | إنك لا تسمع الموتى ولا تسمع الصم الدعاء إذا ولوا مدبرين |
| | | तुम मुर्दों को नहीं सुना सकते और न बहरों को अपनी पुकार सुना सकते हो, जबकि वे पीठ देकर फिरे भी जा रहें हो। |
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3240 | 27 | 81 | وما أنت بهادي العمي عن ضلالتهم إن تسمع إلا من يؤمن بآياتنا فهم مسلمون |
| | | और न तुम अंधों को उनकी गुमराही से हटाकर राह पर ला सकते हो। तुम तो बस उन्हीं को सुना सकते हो, जो हमारी आयतों पर ईमान लाना चाहें। अतः वही आज्ञाकारी होते है |
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3241 | 27 | 82 | وإذا وقع القول عليهم أخرجنا لهم دابة من الأرض تكلمهم أن الناس كانوا بآياتنا لا يوقنون |
| | | और जब उनपर बात पूरी हो जाएगी, तो हम उनके लिए धरती का प्राणी सामने लाएँगे जो उनसे बातें करेगा कि "लोग हमारी आयतों पर विश्वास नहीं करते थे" |
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