بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
32052746قال يا قوم لم تستعجلون بالسيئة قبل الحسنة لولا تستغفرون الله لعلكم ترحمون
सालेह ने कहा ऐ मेरी क़ौम (आख़िर) तुम लोग भलाई से पहल बुराई के वास्ते जल्दी क्यों कर रहे हो तुम लोग ख़ुदा की बारगाह में तौबा व अस्तग़फार क्यों नही करते ताकि तुम पर रहम किया जाए
32062747قالوا اطيرنا بك وبمن معك قال طائركم عند الله بل أنتم قوم تفتنون
वह लोग बोले हमने तो तुम से और तुम्हारे साथियों से बुरा शगुन पाया सालेह ने कहा तुम्हारी बदकिस्मती ख़ुदा के पास है (ये सब कुछ नहीं) बल्कि तुम लोगों की आज़माइश की जा रही है
32072748وكان في المدينة تسعة رهط يفسدون في الأرض ولا يصلحون
और शहर में नौ आदमी थे जो मुल्क के बानीये फसाद थे और इसलाह की फिक्र न करते थे-उन लोगों ने (आपस में) कहा कि बाहम ख़ुदा की क़सम खाते जाओ
32082749قالوا تقاسموا بالله لنبيتنه وأهله ثم لنقولن لوليه ما شهدنا مهلك أهله وإنا لصادقون
कि हम लोग सालेह और उसके लड़के बालो पर शब खून करे उसके बाद उसके वाली वारिस से कह देगें कि हम लोग उनके घर वालों को हलाक़ होते वक्त मौजूद ही न थे और हम लोग तो यक़ीनन सच्चे हैं
32092750ومكروا مكرا ومكرنا مكرا وهم لا يشعرون
और उन लोगों ने एक तदबीर की और हमने भी एक तदबीर की और (हमारी तदबीर की) उनको ख़बर भी न हुई
32102751فانظر كيف كان عاقبة مكرهم أنا دمرناهم وقومهم أجمعين
तो (ऐ रसूल) तुम देखो उनकी तदबीर का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ कि हमने उनको और सारी क़ौम को हलाक कर डाला
32112752فتلك بيوتهم خاوية بما ظلموا إن في ذلك لآية لقوم يعلمون
ये बस उनके घर हैं कि उनकी नाफरमानियों की वज़ह से ख़ाली वीरान पड़े हैं इसमे शक नही कि उस वाक़िये में वाक़िफ कार लोगों के लिए बड़ी इबरत है
32122753وأنجينا الذين آمنوا وكانوا يتقون
और हमने उन लोगों को जो ईमान लाए थे और परहेज़गार थे बचा लिया
32132754ولوطا إذ قال لقومه أتأتون الفاحشة وأنتم تبصرون
और (ऐ रसूल) लूत को (याद करो) जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा कि क्या तुम देखभाल कर (समझ बूझ कर) ऐसी बेहयाई करते हो
32142755أئنكم لتأتون الرجال شهوة من دون النساء بل أنتم قوم تجهلون
क्या तुम औरतों को छोड़कर शहवत से मर्दों के आते हो (ये तुम अच्छा नहीं करते) बल्कि तुम लोग बड़ी जाहिल क़ौम हो तो लूत की क़ौम का इसके सिवा कुछ जवाब न था


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