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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3202 | 27 | 43 | وصدها ما كانت تعبد من دون الله إنها كانت من قوم كافرين |
| | | और ख़ुदा के सिवा जिसे वह पूजती थी सुलेमान ने उससे उसे रोक दिया क्योंकि वह काफिर क़ौम की थी (और आफताब को पूजती थी) |
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3203 | 27 | 44 | قيل لها ادخلي الصرح فلما رأته حسبته لجة وكشفت عن ساقيها قال إنه صرح ممرد من قوارير قالت رب إني ظلمت نفسي وأسلمت مع سليمان لله رب العالمين |
| | | फिर उससे कहा गया कि आप अब महल मे चलिए तो जब उसने महल (में शीशे के फर्श) को देखा तो उसको गहरा पानी समझी (और गुज़रने के लिए इस तरह अपने पाएचे उठा लिए कि) अपनी दोनों पिन्डलियाँ खोल दी सुलेमान ने कहा (तुम डरो नहीं) ये (पानी नहीं है) महल है जो शीशे से मढ़ा हुआ है (उस वक्त तम्बीह हुई और) अर्ज़ की परवरदिगार मैने (आफताब को पूजा कर) यक़ीनन अपने ऊपर ज़ुल्म किया |
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3204 | 27 | 45 | ولقد أرسلنا إلى ثمود أخاهم صالحا أن اعبدوا الله فإذا هم فريقان يختصمون |
| | | और अब मैं सुलेमान के साथ सारे जहाँ के पालने वाले खुदा पर ईमान लाती हूँ और हम ही ने क़ौम समूद के पास उनके भाई सालेह को पैग़म्बर बनाकर भेजा कि तुम लोग ख़ुदा की इबादत करो तो वह सालेह के आते ही (मोमिन व काफिर) दो फरीक़ बनकर बाहम झगड़ने लगे |
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3205 | 27 | 46 | قال يا قوم لم تستعجلون بالسيئة قبل الحسنة لولا تستغفرون الله لعلكم ترحمون |
| | | सालेह ने कहा ऐ मेरी क़ौम (आख़िर) तुम लोग भलाई से पहल बुराई के वास्ते जल्दी क्यों कर रहे हो तुम लोग ख़ुदा की बारगाह में तौबा व अस्तग़फार क्यों नही करते ताकि तुम पर रहम किया जाए |
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3206 | 27 | 47 | قالوا اطيرنا بك وبمن معك قال طائركم عند الله بل أنتم قوم تفتنون |
| | | वह लोग बोले हमने तो तुम से और तुम्हारे साथियों से बुरा शगुन पाया सालेह ने कहा तुम्हारी बदकिस्मती ख़ुदा के पास है (ये सब कुछ नहीं) बल्कि तुम लोगों की आज़माइश की जा रही है |
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3207 | 27 | 48 | وكان في المدينة تسعة رهط يفسدون في الأرض ولا يصلحون |
| | | और शहर में नौ आदमी थे जो मुल्क के बानीये फसाद थे और इसलाह की फिक्र न करते थे-उन लोगों ने (आपस में) कहा कि बाहम ख़ुदा की क़सम खाते जाओ |
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3208 | 27 | 49 | قالوا تقاسموا بالله لنبيتنه وأهله ثم لنقولن لوليه ما شهدنا مهلك أهله وإنا لصادقون |
| | | कि हम लोग सालेह और उसके लड़के बालो पर शब खून करे उसके बाद उसके वाली वारिस से कह देगें कि हम लोग उनके घर वालों को हलाक़ होते वक्त मौजूद ही न थे और हम लोग तो यक़ीनन सच्चे हैं |
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3209 | 27 | 50 | ومكروا مكرا ومكرنا مكرا وهم لا يشعرون |
| | | और उन लोगों ने एक तदबीर की और हमने भी एक तदबीर की और (हमारी तदबीर की) उनको ख़बर भी न हुई |
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3210 | 27 | 51 | فانظر كيف كان عاقبة مكرهم أنا دمرناهم وقومهم أجمعين |
| | | तो (ऐ रसूल) तुम देखो उनकी तदबीर का क्या (बुरा) अन्जाम हुआ कि हमने उनको और सारी क़ौम को हलाक कर डाला |
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3211 | 27 | 52 | فتلك بيوتهم خاوية بما ظلموا إن في ذلك لآية لقوم يعلمون |
| | | ये बस उनके घर हैं कि उनकी नाफरमानियों की वज़ह से ख़ाली वीरान पड़े हैं इसमे शक नही कि उस वाक़िये में वाक़िफ कार लोगों के लिए बड़ी इबरत है |
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