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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3181 | 27 | 22 | فمكث غير بعيد فقال أحطت بما لم تحط به وجئتك من سبإ بنبإ يقين |
| | | ग़रज़ सुलेमान ने थोड़ी ही देर (तवक्कुफ़ किया था कि (हुदहुद) आ गया) तो उसने अर्ज़ की मुझे यह बात मालूम हुई है जो अब तक हुज़ूर को भी मालूम नहीं है और आप के पास शहरे सबा से एक तहक़ीकी ख़बर लेकर आया हूँ |
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3182 | 27 | 23 | إني وجدت امرأة تملكهم وأوتيت من كل شيء ولها عرش عظيم |
| | | मैने एक औरत को देखा जो वहाँ के लोगों पर सलतनत करती है और उसे (दुनिया की) हर चीज़ अता की गयी है और उसका एक बड़ा तख्त है |
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3183 | 27 | 24 | وجدتها وقومها يسجدون للشمس من دون الله وزين لهم الشيطان أعمالهم فصدهم عن السبيل فهم لا يهتدون |
| | | मैने खुद मलका को देखा और उसकी क़ौम को देखा कि वह लोग ख़ुदा को छोड़कर आफताब को सजदा करते हैं शैतान ने उनकी करतूतों को (उनकी नज़र में) अच्छा कर दिखाया है और उनको राहे रास्त से रोक रखा है |
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3184 | 27 | 25 | ألا يسجدوا لله الذي يخرج الخبء في السماوات والأرض ويعلم ما تخفون وما تعلنون |
| | | तो उन्हें (इतनी सी बात भी नहीं सूझती) कि वह लोग ख़ुदा ही का सजदा क्यों नहीं करते जो आसमान और ज़मीन की पोशीदा बातों को ज़ाहिर कर देता है और तुम लोग जो कुछ छिपाकर या ज़ाहिर करके करते हो सब जानता है |
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3185 | 27 | 26 | الله لا إله إلا هو رب العرش العظيم |
| | | अल्लाह वह है जिससे सिवा कोई माबूद नहीं वही (इतने) बड़े अर्श का मालिक है (सजदा) |
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3186 | 27 | 27 | قال سننظر أصدقت أم كنت من الكاذبين |
| | | (ग़रज़) सुलेमान ने कहा हम अभी देखते हैं कि तूने सच सच कहा या तू झूठा है |
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3187 | 27 | 28 | اذهب بكتابي هذا فألقه إليهم ثم تول عنهم فانظر ماذا يرجعون |
| | | (अच्छा) हमारा ये ख़त लेकर जा और उसको उन लोगों के सामने डाल दे फिर उन के पास से जाना फिर देखते रहना कि वह लोग अख़िर क्या जवाब देते हैं |
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3188 | 27 | 29 | قالت يا أيها الملأ إني ألقي إلي كتاب كريم |
| | | (ग़रज़) हुद हुद ने मलका के पास ख़त पहुँचा दिया तो मलका बोली ऐ (मेरे दरबार के) सरदारों ये एक वाजिबुल एहतराम ख़त मेरे पास डाल दिया गया है |
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3189 | 27 | 30 | إنه من سليمان وإنه بسم الله الرحمن الرحيم |
| | | सुलेमान की तरफ से है (ये उसका सरनामा) है बिस्मिल्लाहिररहमानिरहीम |
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3190 | 27 | 31 | ألا تعلوا علي وأتوني مسلمين |
| | | (और मज़मून) यह है कि मुझ से सरकशी न करो और मेरे सामने फरमाबरदार बन कर हाज़िर हो |
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