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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3168 | 27 | 9 | يا موسى إنه أنا الله العزيز الحكيم |
| | | ऐ मूसा! वह तो मैं अल्लाह हूँ, अत्यन्त प्रभुत्वशाली, तत्वदर्शी! |
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3169 | 27 | 10 | وألق عصاك فلما رآها تهتز كأنها جان ولى مدبرا ولم يعقب يا موسى لا تخف إني لا يخاف لدي المرسلون |
| | | तू अपनी लाठी डाल दे।" जब मूसा ने देखा कि वह बल खा रहा है जैसे वह कोई साँप हो, तो वह पीठ फेरकर भागा और पीछे मुड़कर न देखा। "ऐ मूसा! डर मत। निस्संदेह रसूल मेरे पास डरा नहीं करते, |
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3170 | 27 | 11 | إلا من ظلم ثم بدل حسنا بعد سوء فإني غفور رحيم |
| | | सिवाय उसके जिसने कोई ज़्यादती की हो। फिर बुराई के पश्चात उसे भलाई से बदल दिया, तो मैं भी बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान हूँ |
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3171 | 27 | 12 | وأدخل يدك في جيبك تخرج بيضاء من غير سوء في تسع آيات إلى فرعون وقومه إنهم كانوا قوما فاسقين |
| | | अपना हाथ गिरेबान में डाल। वह बिना किसी ख़राबी के उज्जवल चमकता निकलेगा। ये नौ निशानियों में से है फ़िरऔन और उसकी क़ौम की ओर भेजने के लिए। निश्चय ही वे अवज्ञाकारी लोग है।" |
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3172 | 27 | 13 | فلما جاءتهم آياتنا مبصرة قالوا هذا سحر مبين |
| | | किन्तु जब आँखें खोल देनेवाली हमारी निशानियाँ उनके पास आई तो उन्होंने कहा, "यह तो खुला हुआ जादू है।" |
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3173 | 27 | 14 | وجحدوا بها واستيقنتها أنفسهم ظلما وعلوا فانظر كيف كان عاقبة المفسدين |
| | | उन्होंने ज़ुल्म और सरकशी से उनका इनकार कर दिया, हालाँकि उनके जी को उनका विश्वास हो चुका था। अब देख लो इन बिगाड़ पैदा करनेवालों का क्या परिणाम हुआ? |
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3174 | 27 | 15 | ولقد آتينا داوود وسليمان علما وقالا الحمد لله الذي فضلنا على كثير من عباده المؤمنين |
| | | हमने दाऊद और सुलैमान को बड़ा ज्ञान प्रदान किया था, (उन्होंने उसके महत्व को जाना) और उन दोनों ने कहा, "सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए है, जिसने हमें अपने बहुत-से ईमानवाले बन्दों के मुक़ाबले में श्रेष्ठता प्रदान की।" |
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3175 | 27 | 16 | وورث سليمان داوود وقال يا أيها الناس علمنا منطق الطير وأوتينا من كل شيء إن هذا لهو الفضل المبين |
| | | दाऊद का उत्तराधिकारी सुलैमान हुआ औऱ उसने कहा, "ऐ लोगों! हमें पक्षियों की बोली सिखाई गई है और हमें हर चीज़ दी गई है। निस्संदेह वह स्पष्ट बड़ाई है।" |
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3176 | 27 | 17 | وحشر لسليمان جنوده من الجن والإنس والطير فهم يوزعون |
| | | सुलैमान के लिए जिन्न और मनुष्य और पक्षियों मे से उसकी सेनाएँ एकत्र कर गई फिर उनकी दर्जाबन्दी की जा रही थी |
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3177 | 27 | 18 | حتى إذا أتوا على واد النمل قالت نملة يا أيها النمل ادخلوا مساكنكم لا يحطمنكم سليمان وجنوده وهم لا يشعرون |
| | | यहाँ तक कि जब वे चींटियों की घाटी में पहुँचे तो एक चींटी ने कहा, "ऐ चींटियों! अपने घरों में प्रवेश कर जाओ। कहीं सुलैमान और उसकी सेनाएँ तुम्हें कुचल न डालें और उन्हें एहसास भी न हो।" |
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