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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3129 | 26 | 197 | أولم يكن لهم آية أن يعلمه علماء بني إسرائيل |
| | | क्या उनके लिए ये कोई (काफ़ी) निशानी नहीं है कि इसको उलेमा बनी इसराइल जानते हैं |
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3130 | 26 | 198 | ولو نزلناه على بعض الأعجمين |
| | | और अगर हम इस क़ुरान को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाज़िल करते |
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3131 | 26 | 199 | فقرأه عليهم ما كانوا به مؤمنين |
| | | और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर ईमान लाने वाले न थे |
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3132 | 26 | 200 | كذلك سلكناه في قلوب المجرمين |
| | | इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी |
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3133 | 26 | 201 | لا يؤمنون به حتى يروا العذاب الأليم |
| | | ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर ईमान न लाएँगे |
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3134 | 26 | 202 | فيأتيهم بغتة وهم لا يشعرون |
| | | कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडेग़ा कि उन्हें ख़बर भी न होगी |
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3135 | 26 | 203 | فيقولوا هل نحن منظرون |
| | | (मगर जब अज़ाब नाज़िल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक्त क़ुछ) मोहलत मिल सकती है |
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3136 | 26 | 204 | أفبعذابنا يستعجلون |
| | | तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं |
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3137 | 26 | 205 | أفرأيت إن متعناهم سنين |
| | | तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे |
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3138 | 26 | 206 | ثم جاءهم ما كانوا يوعدون |
| | | उसके बाद जिस (अज़ाब) का उनसे वायदा किया जाता है उनके पास आ पहुँचे |
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