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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3104 | 26 | 172 | ثم دمرنا الآخرين |
| | | फिर शेष दूसरे लोगों को हमने विनष्ट कर दिया। |
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3105 | 26 | 173 | وأمطرنا عليهم مطرا فساء مطر المنذرين |
| | | और हमने उनपर एक बरसात बरसाई। और यह चेताए हुए लोगों की बहुत ही बुरी वर्षा थी |
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3106 | 26 | 174 | إن في ذلك لآية وما كان أكثرهم مؤمنين |
| | | निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है। इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं |
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3107 | 26 | 175 | وإن ربك لهو العزيز الرحيم |
| | | और निश्चय ही तुम्हारा रब बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है |
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3108 | 26 | 176 | كذب أصحاب الأيكة المرسلين |
| | | अल-ऐकावालों ने रसूलों को झुठलाया |
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3109 | 26 | 177 | إذ قال لهم شعيب ألا تتقون |
| | | जबकि शुऐब ने उनसे कहा, "क्या तुम डर नहीं रखते? |
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3110 | 26 | 178 | إني لكم رسول أمين |
| | | मैं तुम्हारे लिए एक अमानतदार रसूल हूँ |
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3111 | 26 | 179 | فاتقوا الله وأطيعون |
| | | अतः अल्लाह का डर रखो और मेरी आज्ञा का पालन करो |
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3112 | 26 | 180 | وما أسألكم عليه من أجر إن أجري إلا على رب العالمين |
| | | मैं इस काम पर तुमसे कोई प्रतिदान नहीं माँगता। मेरा प्रतिदान तो बस सारे संसार के रब के ज़िम्मे है |
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3113 | 26 | 181 | أوفوا الكيل ولا تكونوا من المخسرين |
| | | तुम पूरा-पूरा पैमाना भरो और घाटा न दो |
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