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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3077 | 26 | 145 | وما أسألكم عليه من أجر إن أجري إلا على رب العالمين |
| | | और मै तो तुमसे इस (तबलीगे रिसालत) पर कुछ मज़दूरी भी नहीं माँगता- मेरी मज़दूरी तो बस सारी ख़ुदाई के पालने वाले (ख़ुदा पर है) |
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3078 | 26 | 146 | أتتركون في ما هاهنا آمنين |
| | | क्या जो चीजें यहाँ (दुनिया में) मौजूद है |
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3079 | 26 | 147 | في جنات وعيون |
| | | बाग़ और चश्में और खेतिया और छुहारे जिनकी कलियाँ लतीफ़ व नाज़ुक होती है |
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3080 | 26 | 148 | وزروع ونخل طلعها هضيم |
| | | उन्हीं मे तुम लोग इतमिनान से (हमेशा के लिए) छोड़ दिए जाओगे |
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3081 | 26 | 149 | وتنحتون من الجبال بيوتا فارهين |
| | | और (इस वजह से) पूरी महारत और तकलीफ के साथ पहाड़ों को काट काट कर घर बनाते हो |
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3082 | 26 | 150 | فاتقوا الله وأطيعون |
| | | तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो |
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3083 | 26 | 151 | ولا تطيعوا أمر المسرفين |
| | | और ज्यादती करने वालों का कहा न मानों |
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3084 | 26 | 152 | الذين يفسدون في الأرض ولا يصلحون |
| | | जो रुए ज़मीन पर फ़साद फैलाया करते हैं और (ख़राबियों की) इसलाह नहीं करते |
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3085 | 26 | 153 | قالوا إنما أنت من المسحرين |
| | | वह लोग बोले कि तुम पर तो बस जादू कर दिया गया है (कि ऐसी बातें करते हो) |
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3086 | 26 | 154 | ما أنت إلا بشر مثلنا فأت بآية إن كنت من الصادقين |
| | | तुम भी तो आख़िर हमारे ही ऐसे आदमी हो पस अगर तुम सच्चे हो तो कोई मौजिज़ा हमारे पास ला (दिखाओ) |
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