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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3065 | 26 | 133 | أمدكم بأنعام وبنين |
| | | अच्छा सुनो उसने तुम्हारे चार पायों और लड़के बालों वग़ैरह और चश्मों से मदद की |
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3066 | 26 | 134 | وجنات وعيون |
| | | मै तो यक़ीनन तुम पर |
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3067 | 26 | 135 | إني أخاف عليكم عذاب يوم عظيم |
| | | एक बड़े (सख्त) रोज़ के अज़ाब से डरता हूँ |
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3068 | 26 | 136 | قالوا سواء علينا أوعظت أم لم تكن من الواعظين |
| | | वह लोग कहने लगे ख्वाह तुम नसीहत करो या न नसीहत करो हमारे वास्ते (सब) बराबर है |
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3069 | 26 | 137 | إن هذا إلا خلق الأولين |
| | | ये (डरावा) तो बस अगले लोगों की आदत है |
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3070 | 26 | 138 | وما نحن بمعذبين |
| | | हालाँकि हम पर अज़ाब (वग़ैरह अब) किया नहीं जाएगा |
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3071 | 26 | 139 | فكذبوه فأهلكناهم إن في ذلك لآية وما كان أكثرهم مؤمنين |
| | | ग़रज़ उन लोगों ने हूद को झुठला दिया तो हमने भी उनको हलाक कर डाला बेशक इस वाक़िये में यक़ीनी एक बड़ी इबरत है आर उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले भी न थे |
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3072 | 26 | 140 | وإن ربك لهو العزيز الرحيم |
| | | और इसमें शक नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब (और) बड़ा मेहरबान है |
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3073 | 26 | 141 | كذبت ثمود المرسلين |
| | | (इसी तरह क़ौम) समूद ने पैग़म्बरों को झुठलाया |
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3074 | 26 | 142 | إذ قال لهم أخوهم صالح ألا تتقون |
| | | जब उनके भाई सालेह ने उनसे कहा कि तुम (ख़ुदा से) क्यो नहीं डरते |
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