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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3041 | 26 | 109 | وما أسألكم عليه من أجر إن أجري إلا على رب العالمين |
| | | मेरी उजरत तो बस सारे जहाँ के पालने वाले ख़ुदा पर है |
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3042 | 26 | 110 | فاتقوا الله وأطيعون |
| | | तो ख़ुदा से डरो और मेरी इताअत करो वह लोग बोले जब कमीनो मज़दूरों वग़ैरह ने (लालच से) तुम्हारी पैरवी कर ली है |
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3043 | 26 | 111 | قالوا أنؤمن لك واتبعك الأرذلون |
| | | तो हम तुम पर क्या ईमान लाएं |
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3044 | 26 | 112 | قال وما علمي بما كانوا يعملون |
| | | नूह ने कहा ये लोग जो कुछ करते थे मुझे क्या ख़बर (और क्या ग़रज़) |
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3045 | 26 | 113 | إن حسابهم إلا على ربي لو تشعرون |
| | | इन लोगों का हिसाब तो मेरे परवरदिगार के ज़िम्मे है |
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3046 | 26 | 114 | وما أنا بطارد المؤمنين |
| | | काश तुम (इतनी) समझ रखते और मै तो ईमानदारों को अपने पास से निकालने वाला नहीं |
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3047 | 26 | 115 | إن أنا إلا نذير مبين |
| | | मै तो सिर्फ (अज़ाबे ख़ुदा से) साफ साफ डराने वाला हूँ |
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3048 | 26 | 116 | قالوا لئن لم تنته يا نوح لتكونن من المرجومين |
| | | वह लोग कहने लगे ऐ नूह अगर तुम अपनी हरकत से बाज़ न आओगे तो ज़रुर संगसार कर दिए जाओगे |
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3049 | 26 | 117 | قال رب إن قومي كذبون |
| | | नूह ने अर्ज की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया |
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3050 | 26 | 118 | فافتح بيني وبينهم فتحا ونجني ومن معي من المؤمنين |
| | | तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरमियान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे |
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