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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
3010 | 26 | 78 | الذي خلقني فهو يهدين |
| | | फिर वही मेरी हिदायत करता है |
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3011 | 26 | 79 | والذي هو يطعمني ويسقين |
| | | और वह शख्स जो मुझे (खाना) खिलाता है और मुझे (पानी) पिलाता है |
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3012 | 26 | 80 | وإذا مرضت فهو يشفين |
| | | और जब बीमार पड़ता हूँ तो वही मुझे शिफा इनायत फरमाता है |
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3013 | 26 | 81 | والذي يميتني ثم يحيين |
| | | और वह वही हेै जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे ज़िन्दा करेगा |
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3014 | 26 | 82 | والذي أطمع أن يغفر لي خطيئتي يوم الدين |
| | | और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा |
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3015 | 26 | 83 | رب هب لي حكما وألحقني بالصالحين |
| | | परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर |
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3016 | 26 | 84 | واجعل لي لسان صدق في الآخرين |
| | | और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा ज़िक्रे ख़ैर क़ायम रख |
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3017 | 26 | 85 | واجعلني من ورثة جنة النعيم |
| | | और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहश्त) के वारिसों में से बना |
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3018 | 26 | 86 | واغفر لأبي إنه كان من الضالين |
| | | और मेरे (मुँह बोले) बाप (चचा आज़र) को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है |
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3019 | 26 | 87 | ولا تخزني يوم يبعثون |
| | | और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना |
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