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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2996 | 26 | 64 | وأزلفنا ثم الآخرين |
| | | और हमने उसी जगह दूसरे फरीक (फिरऔन के साथी) को क़रीब कर दिया |
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2997 | 26 | 65 | وأنجينا موسى ومن معه أجمعين |
| | | और मूसा और उसके साथियों को हमने (डूबने से) बचा लिया |
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2998 | 26 | 66 | ثم أغرقنا الآخرين |
| | | फिर दूसरे फरीक़ (फिरऔन और उसके साथियों) को डुबोकर हलाक़ कर दिया |
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2999 | 26 | 67 | إن في ذلك لآية وما كان أكثرهم مؤمنين |
| | | बेशक इसमें यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और उनमें अक्सर ईमान लाने वाले ही न थे |
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3000 | 26 | 68 | وإن ربك لهو العزيز الرحيم |
| | | और इसमें तो शक ही न था कि तुम्हारा परवरदिगार यक़ीनन (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है |
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3001 | 26 | 69 | واتل عليهم نبأ إبراهيم |
| | | और (ऐ रसूल) उन लोगों के सामने इबराहीम का किस्सा बयान करों |
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3002 | 26 | 70 | إذ قال لأبيه وقومه ما تعبدون |
| | | जब उन्होंने अपने (मुँह बोले) बाप और अपनी क़ौम से कहा |
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3003 | 26 | 71 | قالوا نعبد أصناما فنظل لها عاكفين |
| | | कि तुम लोग किसकी इबादत करते हो तो वह बोले हम बुतों की इबादत करते हैं और उन्हीं के मुजाविर बन जाते हैं |
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3004 | 26 | 72 | قال هل يسمعونكم إذ تدعون |
| | | इबराहीम ने कहा भला जब तुम लोग उन्हें पुकारते हो तो वह तुम्हारी कुछ सुनते हैं |
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3005 | 26 | 73 | أو ينفعونكم أو يضرون |
| | | या तम्हें कुछ नफा या नुक़सान पहुँचा सकते हैं |
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