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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2947 | 26 | 15 | قال كلا فاذهبا بآياتنا إنا معكم مستمعون |
| | | तो मैं डरता हूँ कि (शायद) मुझे ये लाग मार डालें ख़ुदा ने कहा हरगिज़ नहीं अच्छा तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ हम तुम्हारे साथ हैं |
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2948 | 26 | 16 | فأتيا فرعون فقولا إنا رسول رب العالمين |
| | | और (सारी गुफ्तगू) अच्छी तरह सुनते हैं ग़रज़ तुम दोनों फिरऔन के पास जाओ और कह दो कि हम सारे जहाँन के परवरदिगार के रसूल हैं (और पैग़ाम लाएँ हैं) |
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2949 | 26 | 17 | أن أرسل معنا بني إسرائيل |
| | | कि आप बनी इसराइल को हमारे साथ भेज दीजिए |
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2950 | 26 | 18 | قال ألم نربك فينا وليدا ولبثت فينا من عمرك سنين |
| | | (चुनान्चे मूसा गए और कहा) फिरऔन बोला (मूसा) क्या हमने तुम्हें यहाँ रख कर बचपने में तुम्हारी परवरिश नहीं की और तुम अपनी उम्र से बरसों हम मे रह सह चुके हो |
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2951 | 26 | 19 | وفعلت فعلتك التي فعلت وأنت من الكافرين |
| | | और तुम अपना वह काम (ख़ून क़िब्ती) जो कर गए और तुम (बड़े) नाशुक्रे हो |
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2952 | 26 | 20 | قال فعلتها إذا وأنا من الضالين |
| | | मूसा ने कहा (हाँ) मैने उस वक्त उस काम को किया जब मै हालते ग़फलत में था |
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2953 | 26 | 21 | ففررت منكم لما خفتكم فوهب لي ربي حكما وجعلني من المرسلين |
| | | फिर जब मै आप लोगों से डरा तो भाग खड़ा हुआ फिर (कुछ अरसे के बाद) मेरे परवरदिगार ने मुझे नुबूवत अता फरमायी और मुझे भी एक पैग़म्बर बनाया |
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2954 | 26 | 22 | وتلك نعمة تمنها علي أن عبدت بني إسرائيل |
| | | और ये भी कोई एहसान हे जिसे आप मुझ पर जता रहे है कि आप ने बनी इसराईल को ग़ुलाम बना रखा है |
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2955 | 26 | 23 | قال فرعون وما رب العالمين |
| | | फिरऔन ने पूछा (अच्छा ये तो बताओ) रब्बुल आलमीन क्या चीज़ है |
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2956 | 26 | 24 | قال رب السماوات والأرض وما بينهما إن كنتم موقنين |
| | | मूसा ने कहाँ सारे आसमान व ज़मीन का और जो कुछ इन दोनों के दरमियान है (सबका) मालिक अगर आप लोग यक़ीन कीजिए (तो काफी है) |
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