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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2938 | 26 | 6 | فقد كذبوا فسيأتيهم أنباء ما كانوا به يستهزئون |
| | | अब जबकि वे झुठला चुके है, तो शीघ्र ही उन्हें उसकी हक़ीकत मालूम हो जाएगी, जिसका वे मज़ाक़ उड़ाते रहे है |
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2939 | 26 | 7 | أولم يروا إلى الأرض كم أنبتنا فيها من كل زوج كريم |
| | | क्या उन्होंने धरती को नहीं देखा कि हमने उसमें कितने ही प्रकार की उमदा चीज़ें पैदा की है? |
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2940 | 26 | 8 | إن في ذلك لآية وما كان أكثرهم مؤمنين |
| | | निश्चय ही इसमें एक बड़ी निशानी है, इसपर भी उनमें से अधिकतर माननेवाले नहीं |
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2941 | 26 | 9 | وإن ربك لهو العزيز الرحيم |
| | | और निश्चय ही तुम्हारा रब ही है जो बड़ा प्रभुत्वशाली, अत्यन्त दयावान है |
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2942 | 26 | 10 | وإذ نادى ربك موسى أن ائت القوم الظالمين |
| | | और जबकि तुम्हारे रह ने मूसा को पुकारा कि "ज़ालिम लोगों के पास जा - |
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2943 | 26 | 11 | قوم فرعون ألا يتقون |
| | | फ़िरऔन की क़ौम के पास - क्या वे डर नहीं रखते?" |
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2944 | 26 | 12 | قال رب إني أخاف أن يكذبون |
| | | उसने कहा, "ऐ मेरे रब! मुझे डर है कि वे मुझे झुठला देंगे, |
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2945 | 26 | 13 | ويضيق صدري ولا ينطلق لساني فأرسل إلى هارون |
| | | और मेरा सीना घुटता है और मेरी ज़बान नहीं चलती। इसलिए हारून की ओर भी संदेश भेज दे |
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2946 | 26 | 14 | ولهم علي ذنب فأخاف أن يقتلون |
| | | और मुझपर उनके यहाँ के एक गुनाह का बोझ भी है। इसलिए मैं डरता हूँ कि वे मुझे मार डालेंगे।" |
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2947 | 26 | 15 | قال كلا فاذهبا بآياتنا إنا معكم مستمعون |
| | | कहा, "कदापि नहीं, तुम दोनों हमारी निशानियाँ लेकर जाओ। हम तुम्हारे साथ है, सुनने को मौजूद है |
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