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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2928 | 25 | 73 | والذين إذا ذكروا بآيات ربهم لم يخروا عليها صما وعميانا |
| | | और वह लोग कि जब उन्हें उनके परवरदिगार की आयतें याद दिलाई जाती हैं तो बहरे अन्धें होकर गिर नहीं पड़ते बल्कि जी लगाकर सुनते हैं |
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2929 | 25 | 74 | والذين يقولون ربنا هب لنا من أزواجنا وذرياتنا قرة أعين واجعلنا للمتقين إماما |
| | | और वह लोग जो (हमसे) अर्ज़ करते हैं कि परवरदिगार हमें हमारी बीबियों और औलादों की तरफ से ऑंखों की ठन्डक अता फरमा और हमको परहेज़गारों का पेशवा बना |
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2930 | 25 | 75 | أولئك يجزون الغرفة بما صبروا ويلقون فيها تحية وسلاما |
| | | ये वह लोग हैं जिन्हें उनकी जज़ा में (बेहश्त के) बाला ख़ाने अता किए जाएँगें और वहाँ उन्हें ताज़ीम व सलाम (का बदला) पेश किया जाएगा |
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2931 | 25 | 76 | خالدين فيها حسنت مستقرا ومقاما |
| | | ये लोग उसी में हमेशा रहेंगें और वह रहने और ठहरने की अच्छी जगह है |
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2932 | 25 | 77 | قل ما يعبأ بكم ربي لولا دعاؤكم فقد كذبتم فسوف يكون لزاما |
| | | (ऐ रसूल) तुम कह दो कि अगर दुआ नही किया करते तो मेरा परवरदिगार भी तुम्हारी कुछ परवाह नही करता तुमने तो (उसके रसूल को) झुठलाया तो अन क़रीब ही (उसका वबाल) तुम्हारे सर पडेग़ा |
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2933 | 26 | 1 | بسم الله الرحمن الرحيم طسم |
| | | ता सीन मीम |
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2934 | 26 | 2 | تلك آيات الكتاب المبين |
| | | ये वाज़ेए व रौशन किताब की आयतें है |
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2935 | 26 | 3 | لعلك باخع نفسك ألا يكونوا مؤمنين |
| | | (ऐ रसूल) शायद तुम (इस फिक्र में) अपनी जान हलाक कर डालोगे कि ये (कुफ्फार) मोमिन क्यो नहीं हो जाते |
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2936 | 26 | 4 | إن نشأ ننزل عليهم من السماء آية فظلت أعناقهم لها خاضعين |
| | | अगर हम चाहें तो उन लोगों पर आसमान से कोई ऐसा मौजिज़ा नाज़िल करें कि उन लोगों की गर्दनें उसके सामने झुक जाएँ |
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2937 | 26 | 5 | وما يأتيهم من ذكر من الرحمن محدث إلا كانوا عنه معرضين |
| | | और (लोगों का क़ायदा है कि) जब उनके पास कोई कोई नसीहत की बात ख़ुदा की तरफ से आयी तो ये लोग उससे मुँह फेरे बगैर नहीं रहे |
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