بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
29102555ويعبدون من دون الله ما لا ينفعهم ولا يضرهم وكان الكافر على ربه ظهيرا
और लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) ख़ुदा को छोड़कर उस चीज़ की परसतिश करते हैं जो न उन्हें नफा ही दे सकती है और न नुक़सान ही पहुँचा सकती है और काफिर (अबूजहल) तो हर वक्त अपने परवरदिगार की मुख़ालेफत पर ज़ोर लगाए हुए है
29112556وما أرسلناك إلا مبشرا ونذيرا
और (ऐ रसूल) हमने तो तुमको बस (नेकी को जन्नत की) खुशख़बरी देने वाला और (बुरों को अज़ाब से) डराने वाला बनाकर भेजा है
29122557قل ما أسألكم عليه من أجر إلا من شاء أن يتخذ إلى ربه سبيلا
और उन लोगों से तुम कह दो कि मै इस (तबलीगे रिसालत) पर तुमसे कुछ मज़दूरी तो माँगता नहीं हूँ मगर तमन्ना ये है कि जो चाहे अपने परवरदिगार तक पहुँचने की राह पकडे
29132558وتوكل على الحي الذي لا يموت وسبح بحمده وكفى به بذنوب عباده خبيرا
और (ऐ रसूल) तुम उस (ख़ुदा) पर भरोसा रखो जो ऐसा ज़िन्दा है कि कभी नहीं मरेगा और उसकी हम्द व सना की तस्बीह पढ़ो और वह अपने बन्दों के गुनाहों की वाक़िफ कारी में काफी है (वह ख़ुद समझ लेगा)
29142559الذي خلق السماوات والأرض وما بينهما في ستة أيام ثم استوى على العرش الرحمن فاسأل به خبيرا
जिसने सारे आसमान व ज़मीन और जो कुछ उन दोनों में है छह: दिन में पैदा किया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और वह बड़ा मेहरबान है तो तुम उसका हाल किसी बाख़बर ही से पूछना
29152560وإذا قيل لهم اسجدوا للرحمن قالوا وما الرحمن أنسجد لما تأمرنا وزادهم نفورا
और जब उन कुफ्फारों से कहा जाता है कि रहमान (ख़ुदा) को सजदा करो तो कहते हैं कि रहमान क्या चीज़ है तुम जिसके लिए कहते हो हम उस का सजदा करने लगें और (इससे) उनकी नफरत और बढ़ जाती है (60) सजदा
29162561تبارك الذي جعل في السماء بروجا وجعل فيها سراجا وقمرا منيرا
बहुत बाबरकत है वह ख़ुदा जिसने आसमान में बुर्ज बनाए और उन बुर्जों में (आफ़ताब का) चिराग़ और जगमगाता चाँद बनाया
29172562وهو الذي جعل الليل والنهار خلفة لمن أراد أن يذكر أو أراد شكورا
और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने रात और दिन (एक) को (एक का) जानशीन बनाया (ये) उस के (समझने के) लिए है जो नसीहत हासिल करना चाहे या शुक्र गुज़ारी का इरादा करें
29182563وعباد الرحمن الذين يمشون على الأرض هونا وإذا خاطبهم الجاهلون قالوا سلاما
और (ख़ुदाए) रहमान के ख़ास बन्दे तो वह हैं जो ज़मीन पर फिरौतनी के साथ चलते हैं और जब जाहिल उनसे (जिहालत) की बात करते हैं तो कहते हैं कि सलाम (तुम सलामत रहो)
29192564والذين يبيتون لربهم سجدا وقياما
और वह लोग जो अपने परवरदिगार के वास्ते सज़दे और क़याम में रात काट देते हैं


0 ... 280.9 281.9 282.9 283.9 284.9 285.9 286.9 287.9 288.9 289.9 291.9 292.9 293.9 294.9 295.9 296.9 297.9 298.9 299.9 ... 623

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