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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2899 | 25 | 44 | أم تحسب أن أكثرهم يسمعون أو يعقلون إن هم إلا كالأنعام بل هم أضل سبيلا |
| | | या तुम समझते हो कि उनमें अधिकतर सुनते और समझते है? वे तो बस चौपायों की तरह हैं, बल्कि उनसे भी अधिक पथभ्रष्ट! |
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2900 | 25 | 45 | ألم تر إلى ربك كيف مد الظل ولو شاء لجعله ساكنا ثم جعلنا الشمس عليه دليلا |
| | | क्या तुमने अपने रब को नहीं देखा कि कैसे फैलाई छाया? यदि चाहता तो उसे स्थिर रखता। फिर हमने सूर्य को उसका पता देनेवाला बनाया, |
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2901 | 25 | 46 | ثم قبضناه إلينا قبضا يسيرا |
| | | फिर हम उसको धीरे-धीरे अपनी ओर समेट लेते है |
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2902 | 25 | 47 | وهو الذي جعل لكم الليل لباسا والنوم سباتا وجعل النهار نشورا |
| | | वही है जिसने रात्रि को तुम्हारे लिए वस्त्र और निद्रा को सर्वथा विश्राम एवं शान्ति बनाया और दिन को जी उठने का समय बनाया |
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2903 | 25 | 48 | وهو الذي أرسل الرياح بشرا بين يدي رحمته وأنزلنا من السماء ماء طهورا |
| | | और वही है जिसने अपनी दयालुता (वर्षा) के आगे-आगे हवाओं को शुभ सूचना बनाकर भेजता है, और हम ही आकाश से स्वच्छ जल उतारते है |
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2904 | 25 | 49 | لنحيي به بلدة ميتا ونسقيه مما خلقنا أنعاما وأناسي كثيرا |
| | | ताकि हम उसके द्वारा निर्जीव भू-भाग को जीवन प्रदान करें और उसे अपने पैदा किए हुए बहुत-से चौपायों और मनुष्यों को पिलाएँ |
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2905 | 25 | 50 | ولقد صرفناه بينهم ليذكروا فأبى أكثر الناس إلا كفورا |
| | | उसे हमने उनके बीच विभिन्न ढ़ंग से पेश किया है, ताकि वे ध्यान दें। परन्तु अधिकतर लोगों ने इनकार और अकृतज्ञता के अतिरिक्त दूसरी नीति अपनाने से इनकार ही किया |
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2906 | 25 | 51 | ولو شئنا لبعثنا في كل قرية نذيرا |
| | | यदि हम चाहते तो हर बस्ती में एक डरानेवाला भेज देते |
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2907 | 25 | 52 | فلا تطع الكافرين وجاهدهم به جهادا كبيرا |
| | | अतः इनकार करनेवालों की बात न मानता और इस (क़ुरआन) के द्वारा उनसे जिहाद करो, बड़ा जिहाद! (जी तोड़ कोशिश) |
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2908 | 25 | 53 | وهو الذي مرج البحرين هذا عذب فرات وهذا ملح أجاج وجعل بينهما برزخا وحجرا محجورا |
| | | वही है जिसने दो समुद्रों को मिलाया। यह स्वादिष्ट और मीठा है और यह खारी और कडुआ। और दोनों के बीच उसने एक परदा डाल दिया है और एक पृथक करनेवाली रोक रख दी है |
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