بسم الله الرحمن الرحيم

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ترتيب الآيةرقم السورةرقم الآيةالاية
28982543أرأيت من اتخذ إلهه هواه أفأنت تكون عليه وكيلا
क्या तुमने उस शख्स को भी देखा है जिसने अपनी नफ़सियानी ख्वाहिश को अपना माबूद बना रखा है तो क्या तुम उसके ज़िम्मेदार हो सकते हो (कि वह गुमराह न हों)
28992544أم تحسب أن أكثرهم يسمعون أو يعقلون إن هم إلا كالأنعام بل هم أضل سبيلا
क्या ये तुम्हारा ख्याल है कि इन (कुफ्फ़ारों) में अक्सर (बात) सुनते या समझते है (नहीं) ये तो बस बिल्कुल मिसल जानवरों के हैं बल्कि उन से भी ज्यादा राह (रास्त) से भटके हुए
29002545ألم تر إلى ربك كيف مد الظل ولو شاء لجعله ساكنا ثم جعلنا الشمس عليه دليلا
(ऐ रसूल) क्या तुमने अपने परवरदिगार की कुदरत की तरफ नज़र नहीं की कि उसने क्योंकर साये को फैला दिया अगर वह चहता तो उसे (एक ही जगह) ठहरा हुआ कर देता फिर हमने आफताब को (उसकी शिनाख्त के वास्ते) उसका रहनुमा बना दिया
29012546ثم قبضناه إلينا قبضا يسيرا
फिर हमने उसको थोड़ा थोड़ा करके अपनी तरफ खीच लिया
29022547وهو الذي جعل لكم الليل لباسا والنوم سباتا وجعل النهار نشورا
और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने तुम्हारे वास्ते रात को पर्दा बनाया और नींद को राहत और दिन को (कारोबार के लिए) उठ खड़ा होने का वक्त बनाया
29032548وهو الذي أرسل الرياح بشرا بين يدي رحمته وأنزلنا من السماء ماء طهورا
और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने अपनी रहमत (बारिश) के आगे आगे हवाओं को खुश ख़बरी देने के लिए (पेश ख़ेमा बना के) भेजा और हम ही ने आसमान से बहुत पाक और सुथरा हुआ पानी बरसाया
29042549لنحيي به بلدة ميتا ونسقيه مما خلقنا أنعاما وأناسي كثيرا
ताकि हम उसके ज़रिए से मुर्दा (वीरान) शहर को ज़िन्दा (आबाद) कर दें और अपनी मख़लूकात में से चौपायों और बहुत से आदमियों को उससे सेराब करें
29052550ولقد صرفناه بينهم ليذكروا فأبى أكثر الناس إلا كفورا
और हमने पानी को उनके दरमियान (तरह तरह से) तक़सीम किया ताकि लोग नसीहत हासिल करें मगर अक्सर लोगों ने नाशुक्री के सिवा कुछ न माना
29062551ولو شئنا لبعثنا في كل قرية نذيرا
और अगर हम चाहते तो हर बस्ती में ज़रुर एक (अज़ाबे ख़ुदा से) डराने वाला पैग़म्बर भेजते
29072552فلا تطع الكافرين وجاهدهم به جهادا كبيرا
(तो ऐ रसूल) तुम काफिरों की इताअत न करना और उनसे कुरान के (दलाएल) से खूब लड़ों


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