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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2840 | 24 | 49 | وإن يكن لهم الحق يأتوا إليه مذعنين |
| | | किन्तु यदि हक़ उन्हें मिलनेवाला हो तो उसकी ओर बड़े आज्ञाकारी बनकर चले आएँ |
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2841 | 24 | 50 | أفي قلوبهم مرض أم ارتابوا أم يخافون أن يحيف الله عليهم ورسوله بل أولئك هم الظالمون |
| | | क्या उनके दिलों में रोग है या वे सन्देह में पड़े हुए है या उनको यह डर है कि अल्लाह औऱ उसका रसूल उनके साथ अन्याय करेंगे? नहीं, बल्कि बात यह है कि वही लोग अत्याचारी हैं |
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2842 | 24 | 51 | إنما كان قول المؤمنين إذا دعوا إلى الله ورسوله ليحكم بينهم أن يقولوا سمعنا وأطعنا وأولئك هم المفلحون |
| | | मोमिनों की बात तो बस यह होती है कि जब अल्लाह और उसके रसूल की ओर बुलाए जाएँ, ताकि वह उनके बीच फ़ैसला करे, तो वे कहें, "हमने सुना और आज्ञापालन किया।" और वही सफलता प्राप्त करनेवाले हैं |
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2843 | 24 | 52 | ومن يطع الله ورسوله ويخش الله ويتقه فأولئك هم الفائزون |
| | | और जो कोई अल्लाह और उसके रसूल का आज्ञा का पालन करे और अल्लाह से डरे और उसकी सीमाओं का ख़याल रखे, तो ऐसे ही लोग सफल है |
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2844 | 24 | 53 | وأقسموا بالله جهد أيمانهم لئن أمرتهم ليخرجن قل لا تقسموا طاعة معروفة إن الله خبير بما تعملون |
| | | वे अल्लाह की कड़ी-कड़ी क़समें खाते है कि यदि तुम उन्हें हुक्म दो तो वे अवश्य निकल खड़े होंगे। कह दो, "क़समें न खाओ। सामान्य नियम के अनुसार आज्ञापालन ही वास्तकिव चीज़ है। तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसकी ख़बर रखता है।" |
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2845 | 24 | 54 | قل أطيعوا الله وأطيعوا الرسول فإن تولوا فإنما عليه ما حمل وعليكم ما حملتم وإن تطيعوه تهتدوا وما على الرسول إلا البلاغ المبين |
| | | कहो, "अल्लाह का आज्ञापालन करो और उसके रसूल का कहा मानो। परन्तु यदि तुम मुँह मोड़ते हो तो उसपर तो बस वही ज़िम्मेदारी है जिसका बोझ उसपर डाला गया है, और तुम उसके ज़िम्मेदार हो जिसका बोझ तुमपर डाला गया है। और यदि तुम आज्ञा का पालन करोगे तो मार्ग पा लोगे। और रसूल पर तो बस साफ़-साफ़ (संदेश) पहुँचा देने ही की ज़िम्मेदारी है |
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2846 | 24 | 55 | وعد الله الذين آمنوا منكم وعملوا الصالحات ليستخلفنهم في الأرض كما استخلف الذين من قبلهم وليمكنن لهم دينهم الذي ارتضى لهم وليبدلنهم من بعد خوفهم أمنا يعبدونني لا يشركون بي شيئا ومن كفر بعد ذلك فأولئك هم الفاسقون |
| | | अल्लाह ने उन लोगों से जो तुममें से ईमान लाए और उन्होने अच्छे कर्म किए, वादा किया है कि वह उन्हें धरती में अवश्य सत्ताधिकार प्रदान करेगा, जैसे उसने उनसे पहले के लोगों को सत्ताधिकार प्रदान किया था। औऱ उनके लिए अवश्य उनके उस धर्म को जमाव प्रदान करेगा जिसे उसने उनके लिए पसन्द किया है। और निश्चय ही उनके वर्तमान भय के पश्चात उसे उनके लिए शान्ति और निश्चिन्तता में बदल देगा। वे मेरी बन्दगी करते है, मेरे साथ किसी चीज़ को साझी नहीं बनाते। और जो कोई इसके पश्चात इनकार करे, तो ऐसे ही लोग अवज्ञाकारी है |
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2847 | 24 | 56 | وأقيموا الصلاة وآتوا الزكاة وأطيعوا الرسول لعلكم ترحمون |
| | | नमाज़ का आयोजन करो और ज़कात दो और रसूल की आज्ञा का पालन करो, ताकि तुमपर दया की जाए |
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2848 | 24 | 57 | لا تحسبن الذين كفروا معجزين في الأرض ومأواهم النار ولبئس المصير |
| | | यह कदापि न समझो कि इनकार की नीति अपनानेवाले धरती में क़ाबू से बाहर निकल जानेवाले है। उनका ठिकाना आग है, और वह बहुत ही बुरा ठिकाना है |
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2849 | 24 | 58 | يا أيها الذين آمنوا ليستأذنكم الذين ملكت أيمانكم والذين لم يبلغوا الحلم منكم ثلاث مرات من قبل صلاة الفجر وحين تضعون ثيابكم من الظهيرة ومن بعد صلاة العشاء ثلاث عورات لكم ليس عليكم ولا عليهم جناح بعدهن طوافون عليكم بعضكم على بعض كذلك يبين الله لكم الآيات والله عليم حكيم |
| | | ऐ ईमान लानेवालो! जो तुम्हारी मिल्कियत में हो और तुममें जो अभी युवावस्था को नहीं पहुँचे है, उनको चाहिए कि तीन समयों में तुमसे अनुमति लेकर तुम्हारे पास आएँ: प्रभात काल की नमाज़ से पहले और जब दोपहर को तुम (आराम के लिए) अपने कपड़े उतार रखते हो और रात्रि की नमाज़ के पश्चात - ये तीन समय तुम्हारे लिए परदे के हैं। इनके पश्चात न तो तुमपर कोई गुनाह है और न उनपर। वे तुम्हारे पास अधिक चक्कर लगाते है। तुम्हारे ही कुछ अंश परस्पर कुछ अंश के पास आकर मिलते है। इस प्रकार अल्लाह तुम्हारे लिए अपनी आयतों को स्पष्टप करता है। अल्लाह भली-भाँति जाननेवाला है, तत्वदर्शी है |
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