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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2831 | 24 | 40 | أو كظلمات في بحر لجي يغشاه موج من فوقه موج من فوقه سحاب ظلمات بعضها فوق بعض إذا أخرج يده لم يكد يراها ومن لم يجعل الله له نورا فما له من نور |
| | | (या काफिरों के आमाल की मिसाल) उस बड़े गहरे दरिया की तारिकियों की सी है- जैसे एक लहर उसके ऊपर दूसरी लहर उसके ऊपर अब्र (तह ब तह) ढॉके हुए हो (ग़रज़) तारिकियाँ है कि एक से ऊपर एक (उमड़ी) चली आती हैं (इसी तरह से) कि अगर कोइ शख्स अपना हाथ निकाले तो (शिद्दत तारीकी से) उसे देख न सके और जिसे खुद ख़ुदा ही ने (हिदायत की) रौशनी न दी हो तो (समझ लो कि) उसके लिए कहीं कोई रौशनी नहीं है |
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2832 | 24 | 41 | ألم تر أن الله يسبح له من في السماوات والأرض والطير صافات كل قد علم صلاته وتسبيحه والله عليم بما يفعلون |
| | | (ऐ शख्स) क्या तूने इतना भी नहीं देखा कि जितनी मख़लूक़ात सारे आसमान और ज़मीन में हैं और परिन्दें पर फैलाए (ग़रज़ सब) उसी को तस्बीह किया करते हैं सब के सब अपनी नमाज़ और अपनी तस्बीह का तरीक़ा खूब जानते हैं और जो कुछ ये किया करते हैं ख़ुदा उससे खूब वाक़िफ है |
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2833 | 24 | 42 | ولله ملك السماوات والأرض وإلى الله المصير |
| | | और सारे आसमान व ज़मीन की सल्तनत ख़ास ख़ुदा ही की है और ख़ुदा ही की तरफ (सब को) लौट कर जाना है |
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2834 | 24 | 43 | ألم تر أن الله يزجي سحابا ثم يؤلف بينه ثم يجعله ركاما فترى الودق يخرج من خلاله وينزل من السماء من جبال فيها من برد فيصيب به من يشاء ويصرفه عن من يشاء يكاد سنا برقه يذهب بالأبصار |
| | | क्या तूने उस पर भी नज़र नहीं की कि यक़ीनन ख़ुदा ही अब्र को चलाता है फिर वही बाहम उसे जोड़ता है-फिर वही उसे तह ब तह रखता है तब तू तो बारिश उसके दरमियान से निकलते हुए देखता है और आसमान में जो (जमे हुए बादलों के) पहाड़ है उनमें से वही उसे बरसाता है- फिर उन्हें जिस (के सर) पर चाहता है पहुँचा देता है- और जिस (के सर) से चाहता है टाल देता है- क़रीब है कि उसकी बिजली की कौन्द आखों की रौशनी उचके लिये जाती है |
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2835 | 24 | 44 | يقلب الله الليل والنهار إن في ذلك لعبرة لأولي الأبصار |
| | | ख़ुदा ही रात और दिन को फेर बदल करता रहता है- बेशक इसमें ऑंख वालों के लिए बड़ी इबरत है |
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2836 | 24 | 45 | والله خلق كل دابة من ماء فمنهم من يمشي على بطنه ومنهم من يمشي على رجلين ومنهم من يمشي على أربع يخلق الله ما يشاء إن الله على كل شيء قدير |
| | | और ख़ुदा ही ने तमाम ज़मीन पर चलने वाले (जानवरों) को पानी से पैदा किया उनमें से बाज़ तो ऐसे हैं जो अपने पेट के बल चलते हैं और बाज़ उनमें से ऐसे हैं जो दो पाँव पर चलते हैं और बाज़ उनमें से ऐसे हैं जो चार पावों पर चलते हैं- ख़ुदा जो चाहता है पैदा करता है इसमें शक नहीं कि खुदा हर चीज़ पर क़ादिर है |
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2837 | 24 | 46 | لقد أنزلنا آيات مبينات والله يهدي من يشاء إلى صراط مستقيم |
| | | हम ही ने यक़ीनन वाजेए व रौशन आयतें नाज़िल की और खुदा ही जिसको चाहता है सीधी राह की हिदायत करता है |
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2838 | 24 | 47 | ويقولون آمنا بالله وبالرسول وأطعنا ثم يتولى فريق منهم من بعد ذلك وما أولئك بالمؤمنين |
| | | और (जो लोग ऐसे भी है जो) कहते हैं कि ख़ुदा पर और रसूल पर ईमान लाए और हमने इताअत क़ुबूल की- फिर उसके बाद उन में से कुछ लोग (ख़ुदा के हुक्म से) मुँह फेर लेते हैं और (सच यूँ है कि) ये लोग ईमानदार थे ही नहीं |
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2839 | 24 | 48 | وإذا دعوا إلى الله ورسوله ليحكم بينهم إذا فريق منهم معرضون |
| | | और जब वह लोग ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ बुलाए जाते हैं ताकि रसूल उनके आपस के झगड़े का फैसला कर दें तो उनमें का एक फरीक रदगिरदानी करता है |
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2840 | 24 | 49 | وإن يكن لهم الحق يأتوا إليه مذعنين |
| | | और (असल ये है कि) अगर हक़ उनकी तरफ होता तो गर्दन झुकाए (चुपके) रसूल के पास दौड़े हुए आते |
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