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ترتيب الآية | رقم السورة | رقم الآية | الاية |
2821 | 24 | 30 | قل للمؤمنين يغضوا من أبصارهم ويحفظوا فروجهم ذلك أزكى لهم إن الله خبير بما يصنعون |
| | | (ऐ रसूल) ईमानदारों से कह दो कि अपनी नज़रों को नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें यही उनके वास्ते ज्यादा सफाई की बात है ये लोग जो कुछ करते हैं ख़ुदा उससे यक़ीनन ख़ूब वाक़िफ है |
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2822 | 24 | 31 | وقل للمؤمنات يغضضن من أبصارهن ويحفظن فروجهن ولا يبدين زينتهن إلا ما ظهر منها وليضربن بخمرهن على جيوبهن ولا يبدين زينتهن إلا لبعولتهن أو آبائهن أو آباء بعولتهن أو أبنائهن أو أبناء بعولتهن أو إخوانهن أو بني إخوانهن أو بني أخواتهن أو نسائهن أو ما ملكت أيمانهن أو التابعين غير أولي الإربة من الرجال أو الطفل الذين لم يظهروا على عورات النساء ولا يضربن بأرجلهن ليعلم ما يخفين من زينتهن وتوبوا إلى الله جميعا أيه المؤمنون لعلكم تفلحون |
| | | और (ऐ रसूल) ईमानदार औरतों से भी कह दो कि वह भी अपनी नज़रें नीची रखें और अपनी शर्मगाहों की हिफाज़त करें और अपने बनाव सिंगार (के मक़ामात) को (किसी पर) ज़ाहिर न होने दें मगर जो खुद ब खुद ज़ाहिर हो जाता हो (छुप न सकता हो) (उसका गुनाह नही) और अपनी ओढ़नियों को (घूँघट मारके) अपने गरेबानों (सीनों) पर डाले रहें और अपने शौहर या अपने बाप दादाओं या आपने शौहर के बाप दादाओं या अपने बेटों या अपने शौहर के बेटों या अपने भाइयों या अपने भतीजों या अपने भांजों या अपने (क़िस्म की) औरतों या अपनी या अपनी लौंडियों या (घर के) नौकर चाकर जो मर्द सूरत हैं मगर (बहुत बूढे होने की वजह से) औरतों से कुछ मतलब नहीं रखते या वह कमसिन लड़के जो औरतों के पर्दे की बात से आगाह नहीं हैं उनके सिवा (किसी पर) अपना बनाव सिंगार ज़ाहिर न होने दिया करें और चलने में अपने पाँव ज़मीन पर इस तरह न रखें कि लोगों को उनके पोशीदा बनाव सिंगार (झंकार वग़ैरह) की ख़बर हो जाए और ऐ ईमानदारों तुम सबके सब ख़ुदा की बारगाह में तौबा करो ताकि तुम फलाह पाओ |
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2823 | 24 | 32 | وأنكحوا الأيامى منكم والصالحين من عبادكم وإمائكم إن يكونوا فقراء يغنهم الله من فضله والله واسع عليم |
| | | और अपनी (क़ौम की) बेशौहर औरतों और अपने नेक बख्त गुलामों और लौंडियों का निकाह कर दिया करो अगर ये लोग मोहताज होंगे तो खुदा अपने फज़ल व (करम) से उन्हें मालदार बना देगा और ख़ुदा तो बड़ी गुन्जाइश वाला वाक़िफ कार है |
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2824 | 24 | 33 | وليستعفف الذين لا يجدون نكاحا حتى يغنيهم الله من فضله والذين يبتغون الكتاب مما ملكت أيمانكم فكاتبوهم إن علمتم فيهم خيرا وآتوهم من مال الله الذي آتاكم ولا تكرهوا فتياتكم على البغاء إن أردن تحصنا لتبتغوا عرض الحياة الدنيا ومن يكرههن فإن الله من بعد إكراههن غفور رحيم |
| | | और जो लोग निकाह करने का मक़दूर नहीं रखते उनको चाहिए कि पाक दामिनी एख्तियार करें यहाँ तक कि ख़ुदा उनको अपने फज़ल व (करम) से मालदार बना दे और तुम्हारी लौन्डी ग़ुलामों में से जो मकातबत होने (कुछ रुपए की शर्त पर आज़ादी का सरख़त लेने) की ख्वाहिश करें तो तुम अगर उनमें कुछ सलाहियत देखो तो उनको मकातिब कर दो और ख़ुदा के माल से जो उसने तुम्हें अता किया है उनका भी दो और तुम्हारी लौन्डियाँ जो पाक दामन ही रहना चाहती हैं उनको दुनियावी ज़िन्दगी के फायदे हासिल करने की ग़रज़ से हराम कारी पर मजबूर न करो और जो शख्स उनको मजबूर करेगा तो इसमें शक नहीं कि ख़ुदा उसकी बेबसी के बाद बड़ा बख्शने वाले मेहरबान है |
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2825 | 24 | 34 | ولقد أنزلنا إليكم آيات مبينات ومثلا من الذين خلوا من قبلكم وموعظة للمتقين |
| | | और (ईमानदारों) हमने तो तुम्हारे पास (अपनी) वाज़ेए व रौशन आयतें और जो लोग तुमसे पहले गुज़र चुके हैं उनकी हालतें और परहेज़गारों के लिए नसीहत (की बाते) नाज़िल की |
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2826 | 24 | 35 | الله نور السماوات والأرض مثل نوره كمشكاة فيها مصباح المصباح في زجاجة الزجاجة كأنها كوكب دري يوقد من شجرة مباركة زيتونة لا شرقية ولا غربية يكاد زيتها يضيء ولو لم تمسسه نار نور على نور يهدي الله لنوره من يشاء ويضرب الله الأمثال للناس والله بكل شيء عليم |
| | | ख़ुदा तो सारे आसमान और ज़मीन का नूर है उसके नूर की मिसल (ऐसी) है जैसे एक ताक़ (सीना) है जिसमे एक रौशन चिराग़ (इल्मे शरीयत) हो और चिराग़ एक शीशे की क़न्दील (दिल) में हो (और) क़न्दील (अपनी तड़प में) गोया एक जगमगाता हुआ रौशन सितारा (वह चिराग़) जैतून के मुबारक दरख्त (के तेल) से रौशन किया जाए जो न पूरब की तरफ हो और न पश्चिम की तरफ (बल्कि बीचों बीच मैदान में) उसका तेल (ऐसा) शफ्फाफ हो कि अगरचे आग उसे छुए भी नही ताहम ऐसा मालूम हो कि आप ही आप रौशन हो जाएगा (ग़रज़ एक नूर नहीं बल्कि) नूर आला नूर (नूर की नूर पर जोत पड़ रही है) ख़ुदा अपने नूर की तरफ जिसे चाहता है हिदायत करता है और ख़ुदा तो हर चीज़ से खूब वाक़िफ है |
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2827 | 24 | 36 | في بيوت أذن الله أن ترفع ويذكر فيها اسمه يسبح له فيها بالغدو والآصال |
| | | (वह क़न्दील) उन घरों में रौशन है जिनकी निस्बत ख़ुदा ने हुक्म दिया कि उनकी ताज़ीम की जाए और उनमें उसका नाम लिया जाए जिनमें सुबह व शाम वह लोग उसकी तस्बीह किया करते हैं |
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2828 | 24 | 37 | رجال لا تلهيهم تجارة ولا بيع عن ذكر الله وإقام الصلاة وإيتاء الزكاة يخافون يوما تتقلب فيه القلوب والأبصار |
| | | ऐसे लोग जिनको ख़ुदा के ज़िक्र और नमाज़ पढ़ने और ज़कात अदा करने से न तो तिजारत ही ग़ाफिल कर सकती है न (ख़रीद फरोख्त) (का मामला क्योंकि) वह लोग उस दिन से डरते हैं जिसमें ख़ौफ के मारे दिल और ऑंखें उलट जाएँगी |
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2829 | 24 | 38 | ليجزيهم الله أحسن ما عملوا ويزيدهم من فضله والله يرزق من يشاء بغير حساب |
| | | (उसकी इबादत इसलिए करते हैं) ताकि ख़ुदा उन्हें उनके आमाल का बेहतर से बेहतर बदला अता फरमाए और अपने फज़ल व करम से कुछ और ज्यादा भी दे और ख़ुदा तो जिसे चाहता है बेहिसाब रोज़ी देता है |
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2830 | 24 | 39 | والذين كفروا أعمالهم كسراب بقيعة يحسبه الظمآن ماء حتى إذا جاءه لم يجده شيئا ووجد الله عنده فوفاه حسابه والله سريع الحساب |
| | | और जिन लोगों ने कुफ्र एख्तेयार किया उनकी कारस्तानियाँ (ऐसी है) जैसे एक चटियल मैदान का चमकता हुआ बालू कि प्यासा उस को दूर से देखे तो पानी ख्याल करता है यहाँ तक कि जब उसके पास आया तो उसको कुछ भी न पाया (और प्यास से तड़प कर मर गया) और ख़ुदा को अपने पास मौजूद पाया तो उसने उसका हिसाब (किताब) पूरा पूरा चुका दिया और ख़ुदा तो बहुत जल्द हिसाब लेने वाला है |
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